लखनऊ। आज 5 सितंबर को देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे भारत रत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पुराना नाता रहा है। 1939 से लेकर 1948 तक कुल 9 वर्षों तक उन्होंने विश्वविद्यालय में कुलपति का पदभार संभाला और वेतन के रूप में मात्र एक रुपये लेते थे। 7 सितंबर 1939 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कुलपति का पदभार संभाला।. 9 वर्षों तक कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दीं। विश्वविद्यालय को ऐसे संस्थान के रूप में विकसित किया जिसकी आज पूरी दुनिया में पहचान है।

आज भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का ऋणी है। महामना, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के फोटो, उस समय के कुछ पत्र आज भी भारत कला भवन म्यूजियम और मालवीय भवन में संरक्षित रखा गया है। जो देश के दो महान विभूतियों के व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है। कला संकाय में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम से एक सभागार है। जब कुलपति के रूप में राधाकृष्णन जी यहां पर कार्य करते थे तो वहीं पर गीता का पाठ करते थे।यहां के प्रोफेसर, शिक्षक, विद्यार्थी, कर्मचारी और अपने मित्रों को हफ्ते में एक दिन गीता का पाठ सुनाते थे।

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पूरे देश में 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था। उस समय काशी हिंदू विश्वविद्यालय क्रांतिकारियों का गढ़ था। यहां पढ़ने वाले बहुत से छात्रों ने कई स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लिया। ऐसे में ब्रिटिश हुकूमत को जब यह पता चला तो वह छात्रों को गिरफ्तार करने विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे। बीएचयू के मुख्य द्वार तक सेना आ गई थी। उस समय कुलपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने ब्रिटिश सैनिक को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया। यही वजह थी कि उस आंदोलन में विश्वविद्यालय के छात्रों को ब्रिटिश पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई। डॉ. राधाकृष्णन की स्मृति में आज भी 5 सितंबर को विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं। इस बार रक्तदान करके भारत माता के इस महान सपूत को याद किया जाएगा।https://gknewslive.com

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