धर्म-कर्म: संकट में जयगुरुदेव बोलने पर मदद करने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि आपको नामदान दूंगा, साथ ही जयगुरुदेव नाम को भी भूलना नहीं है क्योंकि इसमें गुरु का भी नाम है। गुरु शब्द है। गुरु ही आगे और गुरु ही पीछे हमेशा साथ देते हैं, पीछे से धकेलते हैं और आगे से बुलाते हैं, खींचते हैं तब यह जीव इस कलयुग में आगे बढ़ पाता है। नहीं तो समझो की ये जीव तो बिल्कुल एक जगह को छोड़ नहीं सकता है। तो ये आत्मा जड़ हो गई है। यहां (मृत्युलोक) से निकल नहीं सकती है। वह तो गुरु ही खींचते हैं, गुरु नाम इसलिये दिया। ये इस समय का जगाया हुआ नाम है। यह गंदगी को साफ करता है, मुसीबत में लोगों को बचाता है।
जयगुरुदेव नाम फलदाई कब होता है:-
जयगुरुदेव नाम बोलने से तकलीफें दूर होती है, काम बनता है इसलिए लोगों को विश्वास होता है। देखो, जितने भी लोग आप यहां (सतसंग कार्यक्रम में) आए हो, आपको किसी ने विश्वास दिलाया होगा की अनमोल, ठोस, अच्छी चीज मिलेगी, चलने से तुम्हारा फायदा ही होगा तब तो आप यहां पर आए हो। किसी न किसी तरह से विश्वास जब होता है तभी आदमी आगे बढ़ता है। और जब विश्वास हो जाता है तो वही फलदाई होता है, उसी से फल मिलता है। तो आपने विश्वास किया, आप आए। अब मैं जो बताऊंगा (नामदान) इस पर अगर आप विश्वास करोगे तो और ज्यादा फलदाई ये हो जाएगा। जैसे कोई आपको एक आम दे कर कहे चलो ये खाओ, देखो बहुत मीठा,अच्छा है और आपने खाया। आपकी इच्छा जगेगी की और खा ले। तब कहेगा चले मेरे साथ बागीचे में, वहां तुमको भरपेट खाने को मिल जाएगा। चले जाओगे बगीचे में तो पेट भर के आम खाओगे। तो ऐसे ही समझ लो जब विश्वास हो गया तब आप यहां आए। अब मेरी बातों पर विश्वास हो जाएगा, जो बताऊंगा इसको करने लग जाओगे तो ये और ज्यादा फलदाई होगा। आपका पेट भर देगा, इच्छा भर देगा। देखो! किसी को खिला-खिला कर कस के पेट भर दो और फिर उसको कोई चीज खिलाने लगो तो कहेगा इच्छा नहीं रह गई, पेट भर गया, ले जाओ, हटाओ-हटाओ। ऐसे ही जब अंदर की इच्छा भर जाती है तब दुनिया की चीजों की इच्छा अपने आप खत्म हो जाती है।