बाराबंकी: पीडीए के आविष्कारक समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से दलितों के कुछ सवाल सिर्फ यूपी से ही नहीं, पूरे देश के दलित कर रहे हैं। आखिर समाजवादी पार्टी सरकार के रहते 2 जून 1995 वाली घटना यानी बहिन कुमारी की हत्या की साजिश को दलित कैसे भूल जायें। अखिलेश दलितों को उनके हाल पर छोड़कर 2024 की चिंता करें।

यह भी पढ़ें : राशिफल: मिथुन समेत इन 2 राशियों का आर्थिक पक्ष मजबूत होगा, रहेगी सुख-शांति

यह बात आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने बयान में कही। उन्होंने सवाल किया कि क्या ये सच नहीं है कि अखिलेश यादव जब 2012 में उप्र के मुख्यमंत्री बने थे, तो उन्होंने तकरीबन SC/ ST के एक लाख मुकदमों को बंद कर दिया था। जिससे लाखों दलित परिवार न्याय से वंचित रह गए थे, क्या यह सच नहीं कि प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करके, इकलौती समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने जितना दलित सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया है, क्या उस का एक चौथाई नुकसान, आज तक कोई अन्य नेता या कोई पार्टी पहुंचा पायी है।

यह भी पढ़ें : यूपी: सीएम योगी ने दी सौगात, रक्षाबंधन पर सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा कर सकेंगी महिलाएं

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि आज समाजवादी पार्टी खुद को दलितों की बड़ी हितैषी या शुभचिंतक बता रही है। जिस समाजवादी पार्टी की उप्र में 4-4 बार सरकार रही हो और जिस पार्टी से आज तक सैकड़ों की संख्या मे एमएलसी और राज्य सभा सदस्य मनोनीत हुए हों। क्य़ा समाजवादी पार्टी अपने किसी एक मनोनीत दलित एमएलसी या राज्य सभा सांसद का नाम बता सकती है। आज अखिलेश यादव को दलितों के मान-सम्मान की बडी चिंता सता रही है, क्या वह भूल गए कि अभी हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में, आजाद समाज पार्टी के सुप्रीमों चन्द्रशेखर आजाद की उन्होंने सिर्फ़ दलित होने की वजह से ही घनघोर बेइज्जती की थी, अखिलेश यादव जी, दलित समाज का व्यक्ति अपनी स्वयं की बेइज्जती और मारपीट तो बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपने समाज के संघर्षशील नेताओं के मान, सम्मान के साथ खिलवाड़ करने वाले को हम किसी भी कीमत पर माफ़ नहीं करने वाले।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *