लखनऊ। दुःखहर्ता अंतर्यामी सर्वत्र व्याप्त सर्व समर्थ त्रिकालदर्शी महापुरुष उज्जैन वाले सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने भक्तों को सतसंग में बताया कि देखो प्रेमियों जयगुरुदेव नाम में अब भी शक्ति ताकत है। नए लोग आजमाइश कर के देख लो। घर-घर बीमारी लड़ाई झगड़ा वैमनस्यता दिमागी टेंशन परेशानी समस्याएं है। रुपया पैसा बहुत कमाते हैं, लेकिन पूरा नहीं पड़ता है तो उस परेशानी को धीरे-धीरे दूर कर लो। पेड़ लगाया नीम का तो आम कहां से खाय। जो कर्म किया है एकदम से उसकी सफाई नहीं होगी क्योंकि एक दम से गुरु पर आपको विश्वास नहीं होगा। मैल तो रह ही जाएगा। एक दम से धुलाई कर दो, तो विश्वास एकदम से जमेगा नहीं, लेकिन धीरे-धीरे फायदा होने लगेगा।
परिवार में एक दूसरे के साथ जुड़कर पूर्व जन्मों के कर्मों को काट रहे हो, तो उनकी भी जान बचाने के लिए उनको भी ध्वनि बुलवाओ
जो लोग अभी नामदान लेकर जा रहे हो, जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलोगे और सुमिरन ध्यान भजन जो बताया गया, उसको करोगे लेकिन जो और लोग घर के नाम दानी नहीं है उनकी तकलीफ कैसे दूर होगी? घर में कोई भी बीमार रहता है, किसी को तकलीफ होती है तो परिवार के लोग परेशान हो जाते हैं क्योंकि एक दूसरे से जुड़े हुए हो, एक दूसरे से जुड़कर के कर्मों को काट रहे हो।
डॉक्टर और मास्टर का भी स्थान होता है ऊंचा
बीमार कोई होता है तो सेवा कौन करता है? घर के लोग, डॉक्टर। डॉक्टर इतनी सेवा करता है कि घर के लोग क्या करेंगे। मास्टर, डॉक्टर इनका स्थान ऊंचा क्यों होता है? कोई भी मास्टर ऊंचे अधिकारी के पास पहुंच जाए तो अधिकारी उसका सम्मान करता है। मास्टर साहब आपकी दया की वजह से हम यहां पहुंच पाए। मास्टर अपने बच्चे की तरह से पढ़ाता है अपना समझ कर तो बच्चा तरक्की कर जाता है। डॉक्टर जैसे अपने बच्चे का इलाज करता है, दु:खी होकर के अपने बच्चे की तरह से मरीज का जब इलाज करता है तो मरीज ठीक हो जाता है। तो मरीज डॉक्टर का एहसानमंद रहता है। मरीज कहता भी है कि डॉक्टर साहब आपकी वजह से हमको जीवनदान मिला तो वह स्थान उसके दिल में बन जाता है और उसका उसको लाभ भी मिलता है।
जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य का होता है काम जयगुरुदेव नाम की ध्वनि से बचेगी लोगों की जान
जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य का काम है। मान लो कोई लड़का घर में बीमार पड़ा और डॉक्टर तक पहुंच ही नहीं पाए, रास्ते में ही खत्म हो गया तो जान तो चली गई। जान तो वापिस नहीं आनी है। जब बुरे कर्मों से बचा रहेगा तो इतनी जल्दी जान नहीं जाने पावेगी।
अन्न दोष और संग दोष से कर्म आते हैं, हो सके तो अपनी दो में से एक रोटी दूसरे को खिला दो
कर्म आ जाते हैं, पूर्व जन्म के भी और वर्तमान में भी कर्म कर बैठता मन। तन से भी कर्म इकट्ठा हो जाते हैं तो उसकी सजा मिल जाती है। दूसरे के भी कर्म आ जाते हैं। कैसे आ जाते हैं ये अच्छे-अच्छे लोगों को भी नहीं पता है। बराबर सतसंग में सुनाया जाता है कि संग दोष, अन्न दोष से कर्म आ जाते हैं इसलिए कहा जाता है कि मेहनत, ईमानदारी की कमाई करो। अपना ही कमाया खाओ। दूसरे का खाने की कोशिश न करो। हो सके तो अपनी मेहनत की कमाई में से, दो रोटी से एक रोटी दूसरे को खिला दो। परमार्थ कर दो जिससे रोटी की कमी आपको न होने पावे। दूसरे के खाकर के अपने मन और अंतरात्मा को गंदा मत करो। बुरे का साथ मत करो कि उसकी बुराई की गंदगी उसके आंख से, मुंह से बोलने से जो बुराई झलकती है, निकलती है वह छींटे बन करके जैसे कीचड़ जमा हो, उसके किनारे से कोई जाता है कीचड़ पड़ जाता है, ऐसे लग जाती है।
जयगुरुदेव नाम ध्वनि से हर हालत में होगी बचत, परिवार वालों को बुलवाना शुरू कर दो
देखो जयगुरुदेव नाम से बचत होगी, हर हालत में बचत होगी। आप अपने परिवार वालों को आज से जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलवाना शुरू कर दो सुबह-शाम एक घंटा। उससे गृहस्थ आश्रम में आपको फायदा दिखाई पड़ेगा। http://GKNEWSLIVE.COM