उज्जैन: सभी जीवात्माओं द्वारा गर्भ के भारी कष्ट से राहत देने, बाहर निकल कर पूरे समरथ सन्त सतगुरु को खोज कर जीते जी मुक्ति-मोक्ष पाने के प्रभु से किये वादे और आशा की याद दिलाने वाले इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने चैत्र पूर्णिमा पर उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 12 महीनों के अलग-अलग अर्थ मतलब है। इन महीनों में करना क्या चाहिए, इनका मतलब क्या होता है, इसको नहीं समझ पाते हैं।
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आषाढ़ मतलब गर्भ में बच्चे को आशा रहती कि मनुष्य शरीर मिलेगा, समर्थ गुरु की खोज करके उद्धार का रास्ता लेकर पार हो जाएंगे। सूर्य और चंद्रमा का महायोग होता है बच्चे के शरीर को बनाने में। मां के पेट में बड़ी तकलीफ होता है बच्चे को। जेल से बहुत ज्यादा। गठरी के समान बंधा पड़ा रहता है। हाथ-पैर नहीं फैला सकता। पेट की गर्मी तपन बर्दाश्त के बाहर होती है। जब प्रभु की दया से बर्दाश्त कर पाता है तब अपना आषाढ़ के अर्थ वाला वादा करता है। आप भी सुनिए अपने उस भूले हुए वादे, आशा को।