लखनऊ: कलयुग के इस मलिन समय में कमजोर मनुष्य को शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक रूप से और अधिक कमजोर करती गलत बातों, आदतों से सावधान करने वाले, प्रकृति और भारतीय संस्कृति व मूल्यों आधारित सरल व्यवहारिक उपाय बताकर मानव की भौतिक चारित्रिक व आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने वाले वर्तमान भारत के महान उपदेशक समाज सुधारक महापुरुष पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 12 जून 2022 को रेवाड़ी स्थित हरियाणा आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेव यूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि संयम, नियम आज से नहीं, बहुत पहले से है। जानवरों को ये मालूम है। खा पीकर के आये कुत्ते के सामने बढ़िया डाल दो, सूंघ करके छोड़ देता है।जानवर आदमी पर निर्भर हैं, बेचारे कर्मों की सजा तो भोग रहे हैं और बेरहम इंसान उन्हें ही काट कर खा जाता है
कोई दे दिया तो खा लिया नहीं तो इधर-उधर किसी तरह से जानवर अपना पेट भरते हैं। बेचारे। सोचो क्या जिंदगी है इनकी। जहां-जहां जाते हैं, जो देखता है वही भगाता है, मारपीट करता है।
आदमी नहीं देखता कि होटल में मांस कुत्ते का है या बकरे का
जानवर सूंघकर करके खाते हैं। आदमी कुछ नहीं सूंघता है। आदमी को तो बस मसाले की खुशबू चाहिए चाहे सड़ा हुआ मांस खिला दो, कुत्ता, बिल्ली, चूहा, बकरा। कोई पूछता है किसका मांस है?
गाय, भैंस मांस सूंघकर छोड़ देंगे लेकिन आदमी कुछ सूँघता नहीं, खाता दबाता चला जाता है
गाय भैंस के आगे दाना डाल दोगे तो सूंघकर खा लेंगे लेकिन मांस नहीं खाएंगे। उनको मालूम है कि हमारा भोजन नहीं है। जब जानवरों का भोजन अलग है तो आदमी का भोजन जानवरों जैसा कैसे रहेगा? नहीं रहेगा। कुत्ता, बिल्ली शेर आदि मांसाहारी की पहचान मनुष्य से अलग है। उनकी आंखें गोल, दांत नुकीले, चाट कर पानी पीते आदि हैं। शाकाहारी जानवरों, मनुष्य जैसे खींच कर पानी पीने वाला कभी मांस नहीं खाता है।
कुत्ते के उदाहरण से समझाया कि वो इंसान से ज्यादा नियम का पालन करता है
कोई चीज कुत्ते के सामने डालो, पेट भरा हो तो सूँघ करके उठा करके ले जाता है, दूसरी जगह छुपा देता है। जब भूख लगती है तब खाता है। नियम का पालन करता है। और इंसान? कहेगा खा कर आया हूँ लेकिन देखो न उसकी तरफ तो रसगुल्ले की पूरी प्लेट साफ कर देगा।
सयंम किसको कहते है, पालन कैसे करते है
इशारे में बताता हूं। साल में एक बार आने वाले क्वार महीना में कुत्ता, कुतिया पगलाता है, उसके बदन में गर्मी आती है। और आदमी, औरत को देखो, हमेशा पागलपन सवार है। इंसान कहां नियम का पालन करता है? नियम-संयम का पालन आदमी से ज्यादा जानवर पक्षी करते हैं।
सांसे किस क्रिया में कितनी खर्च होती है
जो नियम संयम से रहता है, पालन करता है उसकी उम्र ज्यादा होती है।
बैठे बारह, चले अठारह, सोवे से छत्तीस।*
रति क्रिया से दूनी होवे कह गए कवि जगदीश।।
बैठने में 12, चलने में 18, सोने में 36 और भोग में 64 सांसे खर्च होती है। कहा गया साँसों पर उमर निर्भर होती है। जल्दी खर्च करने पर उम्र जल्दी खत्म होती है। कलयुग में सौ वर्ष की उम्र बताई गई लेकिन वह भी इस तरह पूरा हो पाना बड़ा मुश्किल है। इसलिए संयम, नियम से रहो, स्वस्थ रहो और समय के पूरे सन्त सतगुरु को खोज कर जीते जी मुक्ति-मोक्ष प्राप्ति का रास्ता नामदान लेकर मानव जीवन सफल बना लो।