लखनऊ : बाहरी तकलीफों में आराम दिलाने के साथ-साथ साधना में तरक्की प्राप्त करने, आलस्य और नींद जैसे दुश्मनों को मात देने के गुर बताने वाले, जिनको याद करने पर मन के वेग को रोक देने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने जोधपुर आश्रम (राजस्थान) में दिए संदेश में बताया कि साधना के लिए प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त का समय अच्छा रहता है।
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आलस्य दूर करके बैठा करो। ध्यान भजन अभ्यास में ज्यादा समय देना चाहिए। ज्यादा देर नामध्वनी, प्रार्थना बोलने से नये लोगों के ऊपर तो असर पड़ता है लेकिन पुरानों के लिए ध्यान भजन का समय ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ध्यान भजन में अभ्यास में ज्यादा समय देना चाहिए। संयम-नियम का पालन करोगे तो शरीर स्वस्थ रहेगा, कमजोरी नहीं आएगी। शुरू में सम्पुट लगा देते हैं, गुरु का, पांचों धनियों का ध्यान कर लेते हैं फिर सुमिरन, ध्यान भजन पर बैठते हैं। आखिर में भी सम्पुट लगा दिया जाता है। गुरु को याद करने से मन का वेग रुक जाता है। मन के कहे करो मत कोई, जो गुरु कहें करो तुम सोई।