धर्म कर्म: जहां आसा तहां वासा तो अतृप्त इच्छाओं की वजह से जीवात्मा को मनुष्य शरीर छोड़ने के बाद कहां किन योनियों में भटकना पड़ता है, फिर इसकी मुक्ति कैसे होगी, सब भेद अपने सतसंग में खोलने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि जितने लोग मरते हैं सबको लोग स्वर्ग ही भेजते हैं तो नरक क्या बंद हो गया? सब स्वर्ग ही जाते हैं? तो अब वह स्वर्ग गये या नरक गए या कुत्ता-बिल्ली बन करके चारपाई के नीचे आकर के बैठ गए? कौन है? आपको क्या पता? मृत्युलोक के ऊपर बहुत सारे लोक हैं आप अपने घर में ही रहते हुए ही उन लोकों में आने-जाने लग जाओ, वह रास्ता (नामदान) मैं आपको बताऊंगा। भगवान है और मिलता है, कैसे मिलेगा ये बताने वाला चाहिए, खोजो। इसके साथ ही बाबा जी ने बताया कुदरत के बनाए नियम-कानून का पालन करने पर सुख का अनुभव होता है.