धर्म-कर्म : रूहानी दौलत को लुटाने वाले इस समय के आला फ़क़ीर, सब तरह की जानकारी अपने सतसंग के माध्यम से कराने वाले, कम समय में ज्यादा रिजल्ट लाने का उपाय बताने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि जानकारी कैसे मिलती है? सतसंग से, अच्छे लोगों के संपर्क से मिलती है। बहुत सारी जानकारियां साधक को अपने आप साधना में हो जाती है। साधना जो करते हैं उनको जानकारी हो जाती है, बुद्धि विवेक उनका अच्छा हो जाता है।
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साधकों की चढ़ाई हो रही है उनके अंदर में खजाना भरा हुआ है:-
महाराज जी ने बताया कि शरीर के रहते-रहते अपनी आत्मा का कल्याण कर लो। इसको अपने वतन मालिक के पास पहुंचा दो। इसको वापस मृत्यु लोक में दु:ख के संसार में आना न पड़े। अगर इस काम में लग जाता है तो दुनिया में शरीर के रहते-रहते रहते, बराबर अपने घर आता-जाता रहता है। फिर उसको मौत का इंतजार नहीं करना पड़ता है कि जब मौत आएगी, शरीर छूट जाएगा तब अपने घर अपने वतन जाएंगे। कुछ लोग ऐसे साधक हैं जो साधना करते हैं, सुमिरन ध्यान भजन ठीक से करते हैं और उनकी चढ़ाई हो रही है। देखने में नहीं लगेंगे आपको लेकिन अंदर में माल खजाना भरा हुआ है। उनको मालूम हो गया, युक्ति मिल गई कि खजाना कहां है। युक्ति जब मिल जाती है, मालूम हो जाता है तब उसको वह खोज लेता है। और नहीं तो इधर-उधर पेड़ पौधे पत्थर पानी में खोजता भटकता रहता है।