धर्म-कर्म: इस पूरी सृष्टि के संचालनकर्ता, कभी न थकने वाले, मनुष्य के न रुक रहे गलत कर्मों से देवी-देवताओं प्रकृति की बढ़ती नाराजगी को और उनके सजा देने की तत्परता को अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर होने वाली भारी जन हानि को रोकने के लिए सार्वजनिक रूप से अपने सतसंग में सबको सजग कर विनाश को टालने में अनवरत लगे इस समय के समर्थ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बताया कि मांसाहार मत करो।
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जानवरों में भी वोही जीवात्मा है जो मनुष्य में है। मांस खाने से बने दूषित खून से बीमारियां बढ़ती चली जा रही है। जानवरों के मांस खाने से बने दूषित गंदा खून से पूजा पाठ रोजा नमाज ग्रंथ का पाठ स्वीकार नहीं हो रहा। जानवरों की बलि चढ़ाने से देवी-देवताओं की नाराजगी बढ़ती चली जा रही है। धीरे-धीरे धरती उपजाऊ शक्ति खत्म कर दे रही। हड्डी, मांस, चमड़े खून की बदबू हवा में फैलती जा रही है। आगे धरती की उपजाऊ शक्ति, अन्न पैदा करने की ताकत बहुत कम हो जाएगी।