धर्म-कर्म : जयगुरुदेव नाम की अलौकिक शक्ति का इजहार अपने सब भक्तों में कराने वाले, दुनिया में जयगुरुदेव नाम का लोहा मनवाने वाले, मौज के धनी, प्रेम और तड़प से याद करो तो दर्शन दे देने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि निर्मल मन जन सो मोहि पावा। निर्मलता जिसके अंदर है, तन मन से जो सच्चा है, अच्छा काम करता है, देश के नियम कानून का पालन करता है, अधिकारियों, कर्मचारियों का सम्मान करता है, मेहनत ईमानदारी की कमाई करता है, उस पर लोगों को विश्वास हो गया।
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अब वो अगर जयगुरुदेव बोला और कहीं दूसरे रास्ते पर भी चला गया तो लोग उसको (सही) रास्ता बता देते हैं कि ये गलत आदमी नहीं होगा। एक बार बहुत भीड़-भाड़ थी और मैं तब टाट पहनता था। उस भीड़-भाड़ में पहुंच गया। अब वहीं पर एक सिपाही खड़ा था, कहा तुम जयगुरुदेव यहां कहां आ गए? और उसी ने आगे निकाल (जाने) दिया और नहीं तो वहां घंटों खड़े रहते। ऐसे लोगों को विश्वास हो गया की ये (जयगुरुदेव वाले) अच्छे लोग हैं, अच्छा काम करते, अच्छी बात बताते हैं। एक बार स्कूटर से जा रहा था। वहीं पर रोका। तो वो किसी को छोड़ता नहीं था। कौन? चोर बैरियर वाला। तो उसने जब देखा कि (मेरी) गाड़ी पर जयगुरुदेव का झंडा लगा है।
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दूसरा आदमी जो बैठा था, उसने कहा देश के असली सेवक ये हैं, इनको जाने दो, इनसे पैसा मत लेना। मैं तो रुका था, देख सोच ही रहा था कि खुल्ला पैसा दे दूँ। तब तक उसने इशारा कर दिया, जाओ, जाओ। तो इस तरह से सब मददगार हो जाते हैं। लेकिन लोगों को मालूम तो पड़े की ये जयगुरुदेव वाले हैं। लेकिन ये भी देख लेते हैं कि यहां अंडा, मांस बिक रहा है और ये यहीं बैठ के खा रहा है और गुलाबी कपड़ा पहने हुए हैं, जयगुरुदेव लिखा हुआ टोपी लगाए हुए है तब वो कहेगा कि ये नकली है, ये असली नहीं है। झूठ बोलने लग गया, झूठा भाषण देने लग गया, झूठी बात बताने लग गया, छल कपट वाली बात करने लग गया तब लोग समझ जाते हैं कि यह नकली है। ये है तो गीदड़ लेकिन शेर की खाल ऊपर से लगा दिया है। इससे हमेशा धोखा होगा। इसलिए वो समझ जाते हैं।