धर्म-कर्म : जीते जी जीवात्मा को उपरी दिव्य लोकों में भ्रमण कराने वाले, गोपनीय पांच नाम का नामदान देने के एकमात्र अधिकृत, वक़्त के मसीहा, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि, संग और समाज के दोष की वजह से लोगों ने मांस खाना, शराब पीना एक तरह से फैशन बना लिया है। समाज के लोग चाहे व्यापारी, अधिकारी, चिकित्सक आदि हो, अपने-अपने समाज के लोगों को प्रेरणा देकर अगर शाकाहारी नशामुक्त बनाते हैं तो इससे देश का भला हो जाएगा।
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बाबा जी ने कहा कि, अगर बुद्धजीवी वर्ग योजना बनाकर लागू कर दें तो यही देश एक बार फिर सोने की चिड़िया, आध्यात्मिक गुरु बन सकता है। शराब, कबाब, शबाब- यह एक दूसरे के साथी हैं और यह केवल सर्वनाश करते हैं। शराब और मांस, अपराध और भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं। इससे जब तक दूर नहीं होंगे तब तक प्रकृति खुश नहीं हो सकती। महाराज जी ने आगे कहा कि, शाकाहारी दिवस तो 1994 से शुरू हुआ लेकिन इससे बहुत पहले से गुरु महाराज शाकाहार का प्रचार कर रहे थे। नोट कर लो जब तक लोग शाकाहारी नशामुक्त नहीं बनेंगे, तब तक कितना भी पूजा, पाठ, यज्ञ, जप, तप, हवन कर लो उसका फल नहीं मिलेगा। मानव मंदिर को साफ सुथरा रखोगे तभी प्रभु मिलेंगे। अगर नशे में है और देश या घर पर हमला हो गया तो कुछ सूझेगा नहीं की कैसे हम धन, संपत्ति और देश को बचाएं। बाबा जी ने कहा, संकल्प करो कि स्वयं शाकाहारी रहेंगे और दूसरों को भी शकाहारी बनाएंगे। परिवर्तन की बेला है। कलयुग में कलयुग जाने और कलयुग में सतयुग आने की बात गुरु महाराज ने कही थी। वह समय धीरे-धीरे आ रहा है। अगर लोगों को चरित्रवान नहीं बनाया जाएगा तो हम सतयुग नहीं देख पाएंगे। इसलिए हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी, छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी।