धर्म कर्म: इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, सृष्टि के संचालनकर्ता, प्रारब्ध में भी जो न हो वो दे सकने वाले, जिनकी पॉवर का आईडिया अभी लोगों को एक परसेंट भी नहीं हैं, ऐसे दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने दोपहर बक्सर (बिहार) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मोटी बात आपको बता दे। अभी आपके बक्सर में 10 दिन के लिए बिजली न आवे तो अल्लाह-तौबा मच जाएगा कि नहीं। अब तो कुएं से कोई पानी भी नहीं भर पाएगा। कुआं अब रखते भी नहीं लोग। सब पाट करके, फिट कर दिए। बोले टोटी घुमाओ, पानी आ जाएगा। नदियों के किनारे भागोगे या नहीं? नदियों का पानी अगर गंदा रहे तो क्या पियोगे? मछलियां पानी कि गन्दगी साफ करती है।

कुदरत ने पशु और इंसान के लिए अलग-अलग भोजन बनाया

यह जानवर भी शाकाहारी होते हैं। मैं तो कई देशों में गया, बहुत देशों में तो मैं नामदान दे करके आया। बड़े-बड़े देशों में गया। ऑस्ट्रेलिया में सौ-डेढ़ सौ एकड़ मैदान में जानवर देखे। मोटे-मोटे तीन चार सौ गाय। मैने पुछा इतना दूध तो बोले कौनसा दूध? इनको तो काट करके मांस पका करके डिब्बे में भर देते हैं, बिक जाता है। फिर उसी को लोग ले जाते हैं, गर्म करके खाते हैं। गाय बैल भैंस इनके सामने मांस डाल दो सूंघ करके छोड़ देंगे लेकिन आदमी बुद्धि से परिपूर्ण कुछ नहीं देखता सूंघता। महाराज जी ने मांसाहारी और शाकाहारी जानवर में कई अंतर बताये और समझाया कि कुदरत ने पशु और इंसान के लिए अलग-अलग भोजन बनाया। मनुष्य के खाने के लिए क्या बनाया? जड़ चीज जैसे धान, गेहूं, चना, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि। जड़ वो जो एक जगह से दूसरी जगह आ-जा नहीं सकते। फल, दूध, घी मेवा मिष्ठान आदि बना दिया। खूब खाओ लेकिन मांस मछली मत खाना।

मेरे कहने से अंडे के ट्रे फेंक दिए, दुसरा धंधा शुरू किया, कह रहे पहले से ज्यादा हो रही आमदनी

पैसे वाले जो लोग इस सतसंग में आये बैठे हो, मांस मछली जो खाते हो, कहोगे कि हम जानवरों को मारते नहीं, हम तो पैसा देकर लाते हैं। लेकिन आप अगर खाना बंद कर दो तो किसी भी जानवर की कोई हिंसा हत्या करेगा ही नहीं। अब आप कहोगे कि जो वह काम (जानवरों को मारने का) करते हैं भूखे मर जाएंगे। कभी नहीं भूखे मरेंगे। मैंने बताया लोगों को। मांसाहारी होटल बंद कर दिया, शाकाहारी खोल दिया, कह रहे हैं- अच्छा चल रहा है, घर में भी सुकून शांति है, कोई झगड़ा-झंझट नहीं, कोई वैमनस्यता नहीं। अंडा का ट्रे का ट्रे, जो बेचता था, फेंक दिया। हमारे कहने से साग सब्जी का धंधा कर लिया, कह रहा, बहुत अच्छा चल रहा है। जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भर देता है, विश्वास दिला दिया गया कि- अजगर करै न चाकरी पंछी करै न काम, दास मालूका कह गए सबके दाता राम। जो सबको देता खिलाता है तो तुमको भी खिलाएगा। जीव हत्या करके क्यों रोटी खाना चाहते हो? कोई किसी का नुकसान होने वाला है ही नहीं। हमारी तो यही प्रार्थना है- अर्जी मेरी, मर्जी आपकी। हम तो यही कह रहे हैं कि- हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी। छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *