धर्म-कर्म: आदि काल से चले आ रहे पांच नामों के नामदान को देने के एकमात्र अधिकारी, अपने अपनाए हुए जीवों के कल्याण की चिंता हरदम करने वाले, इस समय के पूरे सन्त वक़्त गुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि जैसे राजा को चिंता रहती है कि हमारी प्रजा सुखी रहे, कोई कष्ट तकलीफ न हो। हो तो उसे हम उसको दूर कर दें। इसलिए पहले के राजा लोग जनता का हाल-चाल लेने देखने, समझने के लिए भेष बदल करके अकेले निकल पड़ते थे। जैसे यह प्रजा राजा के हाथ में है। राजा, प्रजा को जैसा बनाना चाहे, जो करना चाहे, प्रजा तो उनके हवाले है। ऐसे ही जीवात्माओं की यह सत्ता सन्तों के हाथ में है। यह जीव उन्हीं के माताहत हैं। वह अगर चाहे तो निकाले, चाहे डुबों दें। सन्तों को फिक्र होती है कि हमारे जीव भटक न जाए, इनको कोई दिक्कत तकलीफ न हो।

हर साल लक्ष्मी गणेश की पूजा के बावजूद वो खुश क्यों नहीं होते:- 

इस शरीर में जो चीज डालोगे उसी का खून बनेगा। मांसाहार करने से खून दूषित हो जाएगा फिर उस अशुद्ध शरीर से हाथ से फूल पत्ती प्रसाद चढ़ाएगा, मांसाहारी मुंह से स्तुति पूजा-पाठ करेगा तो कुबूल नहीं होगा। इसीलिए हर साल लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं लेकिन लक्ष्मी खुश होती हैं? नहीं होती।

लक्ष्मी कैसे खुश होती हैं, कैसे घर में रुकेंगी:- 

दीपावली पर बहुत लोग लक्ष्मी गणेश की पूजा करेंगे कि लक्ष्मी जी खुश हो जाएँगी, हमारा खजाना भर जाएगा, रिद्धि सिद्धि हमारे दरवाजे से हटेंगे नहीं, गणेश जी विराजमान रहेंगे लेकिन दारू पीकर के मांस खा कर के उनकी पूजा करेंगे, नशे में हिलते हाथों से फूल पत्ती चढ़ाएंगे तो देवता कुबूल करेंगे? कभी नहीं। जब मन चित सही रहता है तब दया दुआ प्रभु मिलती है। निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा। निर्मल मन होना चाहिए। बोलोगे देखो हर साल लक्ष्मी गणेश पूजा करते हैं लक्ष्मी खुश होती हैं? लक्ष्मी किससे खुश होती हैं? जो मेहनत ईमानदारी की कमाई करके लाता है, अच्छे काम में लगाता है तो लक्ष्मी को उससे खुश होकर रुक जाती हैं। जो मेहनत ईमानदारी की कमाई करके उनको लगाता है, खुशी से रखता है, अच्छे काम में लगाता है उसके ऊपर खुश हो करके रुक जाती हैं। जो गलत जगहों पर, बदबू वाली जगहों जैसे शराब की दूकान पर लक्ष्मी को फैंक आता है, लक्ष्मी को भी शर्म आती है कि यहां हमको फेंक गया। शराबी के पास लक्ष्मी पैसा नहीं रुकता है, कभी नहीं। इसलिए शाकाहारी रहो और नशे का सेवन मत करो।

त्योंहार पर संकल्प बनाओ, अंडा-मांस, शराब आदि नशों का सेवन छोड़ो:- 

सतसंग को देखने सुनने वालों को आज के दिन दीपावली में यह संकल्प बनाना चाहिए कि हम पशु-पक्षियों का मांस नहीं खाएंगे जिससे हमारी बुद्धि व खून खराब हो, शरीर अपवित्र हो जिससे हमारा पूजा पाठ प्रभु कबूल न करें, न खुश हों। भांग, अफीम, कोकीन शराब आदि नशे की चीजें छोड़ो। तंबाकू हुक्का बीड़ी सिगरेट से तो होश में रहेगा, पहले लोग दवा के रूप में पीते थे। खाने के बाद गैस दूर करने के लिए हुक्का पीते थे। अगर आपको भजन करना है तो उसको भी छोड़ना पड़ेगा। गुरु महाराज कहा करते थे बीड़ी हुक्का सिगरेट तंबाकू चिलम बीड़ी पिया ही नहीं। जब गुरु महाराज नहीं पिए तो हम कहां खाए-पिये होंगे? हम तो हाथ से छुए तक नहीं। 8 मार्च 1974 को होली थी। सतसंग में जाते थे तो हमसे जो सीनियर थे, कहा करते थे कि त्योहारों के दिन कुछ कमी, जिसको बुरा समझते हो वो चीज, आदत छोड़ी जाती है। अगर भजन करना है तो नशे की चीजों को छोड़ना पड़ेगा।

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