UP: यदि मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 का मसौदा लागू होता है, तो बिजली चोरी, घपले, वाणिज्यिक नुकसान जैसी समस्याओं के कारण विद्युत निगमों को होने वाले घाटे का भार आम उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं को महंगी बिजली दरों के रूप में झेलना पड़ेगा। इस स्थिति से निपटने के लिए उपभोक्ता परिषद ने कानूनी लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। परिषद ने घोषणा की है कि, शनिवार को प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से इस मुद्दे पर ऑनलाइन सुझाव लिए जाएंगे, जिसके बाद संघर्ष की रणनीति बनाई जाएगी।
नया मसौदा: उपभोक्ताओं से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित:-
प्रदेश में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन का मौजूदा कार्यकाल समाप्त हो चुका है। अब नए मसौदे को तैयार किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को नियामक आयोग ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 का ड्राफ्ट जारी करते हुए 13 फरवरी तक उपभोक्ताओं से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। इस मसौदे में पूर्व के टैरिफ निर्धारण कानून में कई बदलाव प्रस्तावित हैं।
उपभोक्ता परिषद ने लगाए गंभीर आरोप:-
उपभोक्ता परिषद का दावा है कि, यह मसौदा पूरी तरह से निजी घरानों और बिजली निगमों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। परिषद का कहना है कि, इस ड्राफ्ट में विद्युत नियामक आयोग ने अपनी संवैधानिक गरिमा का ख्याल नहीं रखा, जो नियामकीय प्रणाली में एक काला अध्याय साबित हो सकता है। परिषद का आरोप है कि, नए मसौदे में यह प्रावधान किया गया है कि निगमों में बिजली चोरी, वाणिज्यिक नुकसान और भ्रष्टाचार से होने वाले घाटे की भरपाई उपभोक्ताओं से की जाएगी। जबकि पूर्व में लागू कानून में यह स्पष्ट था कि इन समस्याओं का खामियाजा उपभोक्ताओं को नहीं भुगतना पड़ेगा। इसके लिए विजिलेंस विंग और बिजली थाना जैसी व्यवस्थाएं पहले से मौजूद हैं।
निजी कंपनियों के लिए विशेष प्रावधान:-
नए मसौदे में भविष्य में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी नियम तय किए गए हैं। परिषद का कहना है कि, नियामक आयोग को यह नहीं भूलना चाहिए कि भविष्य की संभावनाओं को मौजूदा कानून में शामिल करना उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है। परिषद ने आरोप लगाया है कि, निजी घराने नियामक आयोग और कॉर्पोरेशन को गुमराह कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान पहुंच रहा है।