लखनऊ। मेरठ में कोरोना संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस ने स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सोमवार को 11 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 27 हो गई है। जबकि 3 लोगों की मौत हो चुकी है। कई गंभीर मरीजों को दिल्ली के अस्पतालों के लिए रेफर किया गया है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से निपटने के लिए लगातार प्रयास करने के दावे कर रहा है। कई गंभीर मरीजों के ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं।
मेडिकल के कोविड प्रभारी डॉ. सुधीर राठी ने बताया कि जिन लोगों को कोविड-19 के दौरान लंबे समय तक आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन पर रखकर स्टेरॉयड दवाएं जैसे डेक्सामेथासोन, मिथाइलप्रेडनीसोलोन आदि दी गई हैं। ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा डायबिटीज, कैंसर और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों में भी ब्लैक फंगस हो सकता है। इसलिये कोरोना होने पर स्टेरॉयड दवाइयां बिना डॉक्टर की सलाह नहीं लेनी चाहिए।
जानिए, क्या है ब्लैक फंगस
विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्लैक फंगस यानि म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक चला जाता है। ब्लैक फंगस को मरीज के गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है. फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। शुरुआती लक्षणों में ब्लैक फंगस के फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों तरफ दर्द हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगस इंफेक्शन किसी व्यक्ति के शरीर मे घुसता है। तो ज्यादातर मामलों में मरीज की आंखों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इससे आंखों में लाली, सूजन और रोशनी कमजोर होने लगती है। धीरे-धीरे यह फंगल इंफेक्शन मरीज के दिमाग तक पहुंचकर मस्तिष्क को भी नुकसान पंहुचा देता है। https://gknewslive.com