UP: बसपा सरकार के दौरान हुए चीनी मिल बिक्री घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल की तीन चीनी मिलों को जब्त कर लिया। जब्त मिलों की कुल कीमत लगभग 1,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।

कैसे हुआ घोटाला?
ईडी के मुताबिक, देवरिया की बैतालपुर और भटनी चीनी मिलों के साथ जौनपुर की शाहगंज चीनी मिल को मोहम्मद इकबाल और उनके करीबियों ने मैलो इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, डायनेमिक शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स हनीवेल शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की शेल कंपनियों के जरिए सस्ते दामों पर खरीदा था। ईडी ने इस मामले में सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि चीनी मिलों की बाजार कीमत काफी ज्यादा थी, लेकिन इन्हें औने-पौने दामों में बेचा गया। खरीद के लिए वीके हेल्थ सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड से असुरक्षित ऋण का लेन-देन दिखाया गया था।

घोटाले की पूरी कहानी:-
बसपा सरकार के दौरान कुल 21 सरकारी चीनी मिलों को बेचा गया था, जिनमें से सात मिलें मोहम्मद इकबाल से जुड़ी कंपनियों ने खरीदी थीं। भाजपा सरकार बनने के बाद नवंबर 2017 में राज्य चीनी निगम लिमिटेड ने इस घोटाले को लेकर गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद, छह महीने के भीतर राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

कौन है मोहम्मद इकबाल?
मोहम्मद इकबाल सहारनपुर का कुख्यात खनन माफिया बताया जाता है, जो फिलहाल दुबई में शरण लिए हुए है। इससे पहले, ईडी ने सहारनपुर में स्थित उसकी ग्लोकल यूनिवर्सिटी को भी जब्त कर लिया था, जिसकी अनुमानित कीमत 4,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

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