धर्म कर्म: परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि दो तरह के नाम होते हैं; वर्णात्मक और ध्वन्यात्मक। वर्णात्मक नाम उसको कहते हैं जो लिखा, पढ़ा और बोला जाता है। जो ध्वन्यात्मक नाम है, वह सुना जाता है (जो नामदान के समय दिया जाता है)। वर्णात्मक नाम को महापुरुष जब धरती पर आते हैं तो जगाते हैं, जैसे त्रेता में राम भगवान ने ‘राम’ नाम जगाया था, द्वापर में जब कृष्ण आए तब उन्होंने ‘कृष्ण’ नाम जगाया और ‘कृष्ण कृष्ण’ जिसने जहाँ पुकारा, कृष्ण वहां खड़े हुए मिले। जब कलयुग आया तब सन्तों का प्रदुर्भाव हुआ, तो कबीर साहब ने ‘सत साहेब’ नाम जगाया, नानक साहब ने ‘वाहेगुरु’ नाम जगाया, शिवदयाल जी महाराज ने ‘राधा स्वामी’ नाम जगाया और हमारे गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव जी महाराज) ने ‘जयगुरुदेव’ नाम जगाया। जयगुरूदेव नाम में आज भी शक्ति है, ताकत है।

महापुरुष नाम में शक्ति कैसे भरते हैं?

अब नाम जगाया कैसे जाता है? आप बहुत पतले तार के द्वारा उस प्रभु से जुड़े हुए हो, और वह तार जब कट जाता है तब यह पंच भौतिक शरीर धड़ाम से गिर जाता है। यह जीवात्मा उस प्रभु से जुड़ी हुई है। महापुरुष जब नाम को जगाते हैं तब प्रभु से जोड़ देते हैं और उस नाम से जब उसको पुकारते हैं तब वह मदद करता है। ‘जयगुरूदेव’ नाम प्रभु का नाम है, इस नाम में शक्ति है, ताकत है। आप कहीं भी मुसीबत में पड़ जाओ, जानमाल बचने की कोई भी उम्मीद ना हो तब आप दस बार ‘जयगुरुदेव’ बोलना तो कोई ना कोई मदद, कोई ना कोई सहारा आपको मिल जाएगा।

ऐसे हथियार बन गए जो बटन दबाते ही बहुत दूर की जगह को ही खत्म कर दें  

बार्डर एरिया वालों का तो जीवन उसी तरह से है कि जैसे बारूद के ढेर पर किसी को खड़ा कर दिया जाए या कागज की नाव पर बैठ कर के नदी को पार करने के लिए कह दिया जाए, क्योंकि इस समय लोगों की बुद्धि बहुत खराब हो रही है। अब जिस दिन जिसने ज्यादा शराब पी लिया और उसी शराब के नशे में आदेश दे दिया कि दबा दो बटन लड़ाई का, तो उस दिन सोचो क्या होगा? आजकल तो ऐसे हथियार बन गए कि कोई कहीं भी बटन दबा दे तो दस हजार, बीस हजार किलोमीटर दूर जा कर के गोला गिर जाए, बम गिर जाए और वह जगह ही खत्म हो जाए। तो अगर आप शाकाहारी, नशामुक्त रहोगे, सुमिरन-ध्यान-भजन करते रहोगे और विश्वास के साथ ‘जयगुरुदेव’ नाम बोलोगे तो आपकी बचत होगी।

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