लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट की इजाजत के बिना सासंदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले वापस नहीं लिए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें संबंधित हाईकोर्ट की इजाजत के बिना केस वापस नहीं ले सकेंगी। हाईकोर्ट हाल ही में केरल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर भी फैसला देंगे। कोर्ट ने ये भी कहा कि सभी हाई कोर्ट के रजिस्टार जरनल अपने चीफ जस्टिस को सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित, निपटारे की जानकारी दें। सीबीआई कोर्ट और अन्य कोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें। सासंदों/ विधायकों के खिलाफ आपराधिक ट्रायल के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट स्पेशल बेंच का गठन करेगा।

सासंदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल न करने पर केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि हमने शुरू में ही केंद्र से आग्रह किया था कि वो सांसदों/विधायकों से संबंधित लंबित मामलों में गंभीर हो, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कुछ नहीं हुआ। कोई प्रगति नहीं हुई। ईडी की स्टेट्स रिपोर्ट पेपर में छपने पर नाराजगी जताई। कहा कि आज हमने पेपर में रिपोर्ट पढ़ी। सब मीडिया को पहले मिल जाता है। एजेंसी अदालत को कुछ नहीं देती। ईडी के हलफनामा भी फॉर्मेट में नहीं है और इसमें सिर्फ आरोपियों की सूची है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया। कोर्ट ने दो हफ्ते के समय के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

 

 

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