लखनऊ: राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच राजस्थान विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पारित होने से अब राज्य में बाल विवाह के पंजीकरण की भी अनुमति मिल जाएगी। विधेयक में कहा गया है कि अगर शादी के समय लड़के की उम्र 21 साल से कम और लड़की की उम्र 18 साल से कम है, तो माता-पिता या अभिभावकों को 30 दिनों के भीतर इसकी जानकारी देनी होगी और पंजीकरण अधिकारी के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस विधेयक के पास होने पर भाजपा ने नाराजगी जताई है।
क्या है ये विधेयक?
इस विधेयक में स्पष्ट तौर से कहा गया है कि अगर विवाह के समय लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 साल से कम है, तो उनके अभिभावकों को 30 दिन के अंदर इसकी जानकारी देनी होगी और पंजीकरण अधिकारी से इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा. विधानसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने इसका कड़ा विरोध जताया है. बीजेपी ने सरकार के इस कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “इस पंजीकरण की आवश्यकता क्या है. किस उद्देश्य से इस बिल को लाया जा रहा है? भाजपा की तरफ से विधायक अशोक लाहोटी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा सर्वसम्मति से बाल विवाह की अनुमति दे रही है? यह विधेयक विधानसभा के इतिहास में काला अध्याय लिखेगा.
सरकार का दावा
बीजेपी के इस विरोध पर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि ‘इस विधेयक का उद्देश्य हर विवाहित, चाहे बाल विवाह ही क्यों नहीं हो. उसको भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. विवाह प्रमाण पत्र एक अनिवार्य कानूनी दस्तावेज है. जिसके अभाव में अक्सर विधवा महिलाएं सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाती है.’ हालांकि इस दौरान धारीवाल ने अपने जवाब में यह भी कहा कि, ‘यह कानून कहीं नहीं कहता कि ऐसे विवाह वैध होंगे. कलेक्टर या डीएम चाहे तो उनपर कार्रवाई भी कर सकते हैं. यह विधेयक किसी भी तरह से केंद्रीय कानून का विरोधाभास नहीं है.’