लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति और चाक-चौंबंद कानून व्यवस्था को अपनी पहली प्राथमिकता बताने वाली योगी सरकार 2020 में खासा सख्त नजर आई। पूरे साल योगी सरकार ने भ्रष्टाचार और लापरवाही करने वाले कई आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कड़ी कार्रवाई कर सख्त संदेश दिया। एक ओर जहां यूपी 8 आईपीएस अफसरों को निलंबित कर दिया गया। वहीं दूसरी तरफ 2 आईपीएस अफसरों की आय से अधिक संपत्ति की जांच के आदेश दे दिए गए। यही नहीं फरार चल रहे आईपीएस अफसरों के घर डुगडुगी बजवाकर उनकी सम्पत्ति कुर्क करने की प्रकिया भी शुरू कर दी गई है।  आइए देखते हैं किन अफसरों पर सरकार ने सख्ती की है।

अनंत देव- 2006 बैच के IPS अनंत देव DIG रैंक के अधिकारी है। वह बिकरू कांड के पहले कानपुर के SSP और बिकरू कांड के दौरान DIG STF के पद पर तैनात थे। बिकरू कांड में 8 पुलिसकर्मियों के साथ शहीद हुए सीओ देवेन्द्र मिश्रा ने इस घटना से पहले तत्कालीन SSP अनंत देव को पत्र लिखकर बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात बदमाश विकास दुबे के खिलाफ स्थानीय SO द्वारा कार्रवाई न करने की शिकायत की थी।  एसआईटी जांच हुई तो अनंत देव दोषी पाए गए।  12 नवंबर को IPS अनंत देव को निलंबित कर दिया गया।

विक्रांत वीर- 2014 बैच के आईपीएस विक्रांत वीर एसपी हाथरस रहते हुए 2 अक्टूबर को निलंबित किये गये थे। हाथरस में दलित युवती के साथ हुए रेप-हत्या के बाद स्थानीय पुलिस-प्रशासन पर न सिर्फ रात में ही उसके जबरन अंतिम संस्कार का आरोप लगा।  बल्कि स्थानीय पुलिस ने रेप की वारदात से भी इंकार कर दिया था।  जिससे मचे सियासी बवाल के बाद गठित SIT की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने तत्कालीन SP विक्रांत वीर को निलंबित कर दिया था।. सीबीआई चार्जशीट ने भी हाथरस पुलिस पर सवाल खड़े किए।

मणिलाल पाटीदार- 2014 बैच के IPS मणिलाल पाटीदार पर SP महोबा रहते हुए महोबा के क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की हत्या कराने का आरोप लगा। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए गठित SIT की रिपोर्ट में IPS मणिलाल को भ्रष्टाचार में लिप्त होने और इंद्रकांत को आत्महत्या के लिए मजबूर किए जाने का दोषी पाया गया। सरकार ने बीते 9 सितंबर को IPS मणिलाल को निलंबित कर दिया। फिलहाल मणिलाल पाटीदार फरार चल हैं। उन्हें भगौडा घोषित करते हुए 50 हजार का इनाम देने का ऐलान कर दिया गया है। 15 दिसंबर को IPS के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति की जांच के भी निर्देश दे दिये गए हैं।

अभिषेक दीक्षित- 2006 बैच के आईपीएस अभिषेक दीक्षित को प्रयागराज के एसएसपी रहते निलंबित किया गया था। तत्कालीन एसएसपी अभिषेक दीक्षित पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में नियमों के उल्लंघन के साथ बड़े स्तर पर वसूली किये जाने का आरोप है।  जिसकी मिली कई शिकायतों के बाद योगी सरकार ने अभिषेक दीक्षित को प्रयागराज में कानून व्यवस्था न संभाल पाने और घूसखोरी के आरोप में न सिर्फ बीते 8 सिंतबर को निलंबित कर दिया था। बल्कि बीते 15 दिसंबर को उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति की जांच भी कराने का निर्देश दे दिए है। अभिषेक दीक्षित मूलत: तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। लेकिन फिलहाल प्रतिनियुक्ति पर तमिलनाडु से यूपी आए हैं।

दिनेश चन्द्र दुबे- 2003 बैच के आईपीएस दिनेश चंद्र दुबे डीआईजी  रैंक के अधिकारी हैं। इंदौर के एक व्यापारी से पशुपालन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर करीब 9 करोड़ ठगी की थी। जिसकी जांच शासन ने एसटीएफ को सौंपी थी। इस मामले में एसटीएफ ने कुछ आरोपियों को जेल भेज दिया था। इसमें रूल एंड मैन्युअल के पद पर रहते हुए दिनेश चंद्र दुबे की भी भूमिका संदिग्ध बताई थी. साथ ही दिनेश चंद्र दुबे पर एक शातिर अपराधी से 144 बार पैसे की लेनदेन को लेकर बातचीत का आरोप लगा था। जिसके बाद सरकार ने दिनेश चंद्र दुबे को पशु पालन विभाग में फर्जी टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की हुई ठगी और वित्तीय अनियमितता के मामले में बीते 22 अगस्त को निलंबित कर दिया है।

अरविंद सेन- आईपीएस अरिवंद सेन भी दिनेश चंद्र दुबे के साथ 2003 बैच के अधिकारी है। डीआईजी रैंक के अधिकारी अरविंद सेन पर भी दिनेश चंद्र दुबे के साथ पशुपालन घोटाले में शामिल आरोपियों की मदद करने और वित्तीय अनियमतता में शामिल होने का आरोप है। अरविंद सेन के खिलाफ इंदौर के व्यापारी के साथ पशुपालन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर करीब 9 करोड़ की हुई ठगी के बाद धमकाने के साथ इस घोटाले में शामिल होने की शिकायत की गई थी। योगी सरकार ने एक ओर जहां आईपीएस  अरविंद सेन को बीते 22 अगस्त को निलंबित कर दिया था। वहीं निलंबन के बाद फरार चल रहे आईपीएस अरविंद सेन की गिरफ्तारी के लिए उनके घर पर डुगडुगी पिटवाकर अब सम्पत्ति कुर्क करने की तैयारी हो रही है।

अपर्णा गुप्ता- 2015 बैच की आईपीएस अर्पणा गुप्ता के कानपुर में एसपी  साउथ के पद पर तैनाती के दौरान 22 जून को कानपुर के बर्रा इलाके से अगवा किए गए लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की हत्या कर दी गई थी। इस घटना में कानपुर पुलिस न केवल वक्त रहते हत्यारों को दबोचने में नाकाम रही थी। बल्कि अपहरणकर्ताओं के पुलिस की मौजूदगी में फिरौती के 30 लाख रुपये लेकर फरार हो जाने का आरोप लगा था। मामले पर शुरू हुई सियासत को देखते हुए योगी सरकार ने आईपीएस  अपर्णा गुप्ता को 24 जुलाई को निलंबित कर दिया था। कुछ दिनों  बाद अपर्णा गुप्ता को सरकार ने बहाल कर उन्हे एसपी रेलवे के पद पर तैनात कर दिया है।

वैभव कृष्णा- आईपीएस वैभव कृष्णा 2010 बैच के अधिकारी है। वैभव कृष्णा का नोएडा के एसएसपी  रहते हुए एक महिला के साथ आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था। जिसको फर्जी बताते हुए वैभव कृष्ण ने इस मामले में खुद एफआईआर  कराई थी। लेकिन जब इस वीडियो की गुजरात की फॉरेंसिक लैब से जांच कराई गई। तो ये वीडियो सही पाया गया। वैभव कृष्णा ने प्रेस कांफ्रेस कर खुद शासन को भेजी गई एक गोपनीय रिपोर्ट को भी लीक किये जाने की जानकारी दी थी। जिसके बाद सरकार ने अश्लील वीडियो वायरल होने और गोपनीय रिपोर्ट लीक कर अधिकारी आचरण नियमावली का उल्लंघन किये जाने के कारण वैभव कृष्ण को 9 जनवरी 2020 को सस्पेंड कर दिया गया था। और तभी से वैभव कृष्णा फिलहाल निलंबित चल रहे हैं।http://GKNEWSLIVE.COM

 

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