लखनऊ: करवाचौथ पर्व पर डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मठ मंदिर में रविवार 24 अक्टूबर को श्रीमहंत देव्यागिरि की अगुआई में देशवासियों के सुहाग की रक्षा के लिए महादेव का सिन्दूराभिषेक कर आरती की गई। इसके साथ ही मंदिर में प्रतिष्ठित सभी विवाहित देवी देवताओं का पूजन कर उनसे हिन्दुस्तान की सुहागिनों के लिए आशीर्वाद की कामना की गई।
मंदिर परिसर में हुई गूंजे भजन
मंदिर परिसर के आसपास सुहागिनों ने हाथों पर मेंहदी से करवा, प्रथम देव गणपति, आमपत्र, कैरी, बगिया बेल, मोर, शंख, सूरज चांद जैसी पारंपरिक डिजाइन बनवायी। कई उत्साही महिलाओं ने अपने जीवनसाथी का नाम भी उसमें कलात्मक रूप में शामिल करवाया। इसके साथ ही पैरों में आलता लगाकर दुल्हन की तरह शादी के जोड़े में सज कर मंदिर परिसर में शाम को पूजन किया। मंदिर परिसर में चावल के आटे और हल्दी से सुंदर करवाचौथ की रंगोली उकेरी गई थी। महिला मंडली ने करवाचौथ की कथा कही और “करवाचौथ का व्रत ऐसा, जिसकी महिमा है अपरंपार” और “दे दो अपनी पुजारिन को वरदान मां, जब तक जियूं मैं सुहागिन जियूं” जैसे भजन गाये।
प्रियंका और रीतिका ने मनाया पहला करवाचौथ
प्रियंका जोशी और रीतिका, जोशी दोनों ही मनकामेश्वर मठ में नियमित रूप से आती रही हैं। ऐसे में विवाह के उपरांत अपना पहला करवाचौथ भी उन्होंने बाबा मनकामेश्वर धाम में ही मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने वरिष्ठ जनों और आचार्यों के मार्गदर्शन में विधिविधान से पूजन किया।
50वें करवाचौथ पर किया बाबा मनकामेश्वर को नमन
पचास साल सुहागिन रहने वाली वयोवृद्ध रामदुलारी ने कहा यह बाबा का ही आशीर्वाद है कि वह अपना 50वां करवाचौथ मना पा रही हैं। इसलिए इस साल उन्होंने बाबा मनकामेश्वर के प्रति कृतज्ञ होते हुए मनकामेश्वर मठ मंदिर में पूजन अर्चन किया।
मंगलमुखी ने भी किया मठ मंदिर में पूजन
मंगलमुखी के रूप में लोकप्रिय हो रही किन्नर मोहिता ने अपने पति शिवम और पंखुड़ी ने अपने पति नीरज के लिए पहली बार मनकामेश्वर मठ मंदिर में करवाचौथ पर पूजन अर्चन किया। उन्होंने बताया कि वह करवाचौथ के व्रत को लेकर खासी उत्साहित हैं। उन्होंने करवाचौथ को यादगार बनाने के लिए स्वंय एक एक वस्तु की खरीदारी की।
विवाह के जोड़े में आई सुहागिनें
करवा चौथ पर सोलह श्रंगार कर विवाह के जोड़े में करवाचौथ का पूजन करने की परंपरा रही है। उसी थाती का अनुसरण करते हुए ज्योति कश्यप, उपमा पाण्डेय, रेनु निषाद सहित अन्य महिलाओं ने शादी के जोड़े में पूजन अर्चन किया। इस अवसर पर 11 से अधिक करवे रख कर सामूहिक पूजन किया गया। मठ मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने आशीर्वाद स्वरूप सुहाग की वस्तुएं और प्रसाद में मिष्ठान सुहागिनों को भेंट की। उन्होंने संदेश दिया कि करवाचौथ का व्रत नवरात्र की तरह नारी शक्ति का प्रतीक है। करवाचौथ का पर्व पति-पत्नी को सयंम, संतोष, सहमति, परस्पर सम्मान और जीवन में संतुलन का संदेश देता है जो खुशहाल जिंदगी का आधार है। देवी पार्वती और देवी सीता के आदर्श आज विश्व के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।