लखनऊ: मनुष्य को शाकाहारी सदाचारी बनाकर परमात्मा का साक्षात्कार कराने वाले इस धरा पर मौजूद मनुष्य शरीर में उज्जैन के प्रकट संत बाबा उमाकांत जी महाराज ने 30 नवंबर 2021 को काशीपुर, उत्तराखंड में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि कुछ प्रांत, जिला ऐसे हैं जहां ज्यादातर मांसाहारी हैं। उनको कोई बताने वाला गया ही नहीं। इक्का-दुक्का मिलेंगे शाकाहारी। मैं तो घूमता देखता रहता हूं। उड़ीसा में एक आदमी से पूछा मैंने तो बोला हमारे यहां कोई शाकाहारी नहीं है। मंदिर है तो बोला मंदिर के पुजारी भी खाते-पीते हैं। यहां कोई बताने-समझाने वाला ही नहीं आया। सब कहते हैं दादा, पिता खाते थे, सब खाते हैं। कोई बताने वाला नहीं के मुर्गा, बकरा काटने से देवता खुश नहीं होते हैं। बलि नहीं चढ़ाना चाहिए। कोई बताने वाला नहीं। वह तो कहते हैं कि बिना बलि के देवता नाराज हो जाएंगे। देवता तभी खुश होंगे जब बकरे का सर काट के उनके सामने चढ़ाएंगे। तो लोग अज्ञानता में पाप कर बैठते हैं कहीं-कहीं जुबान के स्वाद के लिए। जानते हैं, सुनते हैं लेकिन अमल नहीं करते। पूजा, पाठ, हवन, यज्ञ, दान, पुण्य भी करते हैं, तीर्थों में जाते हैं, लेकिन मांस खाते हैं मदिरा पीते हैं, नशे की गोली खाते हैं।

मनुष्य के खानपान और चाल चलन से देवी-देवता सख्त नाराज हैं तरह-तरह के रूप में सजा दे रहे हैं लोगों को

इतना पूजा-पाठ होते हुए भी कुछ लाभ नहीं मिल रहा, बीमारी, लड़ाई-झगड़ा घर में बना रहता है। निंदा अपमान बहुत और रुपया पैसा बहुत कम। बरकत नहीं है। यही कारण है जो दुखों का दूर-निवारण करने वाले, भौतिक चीजों को देने वाले जैसे देवता पांच तत्वों से बने शरीर मे तत्व की कमी कर देते हैं, पूरा माहौल खराब कर देते हैं। देवता नाराज होकर भूचाल-भूकंप ला देते हैं। धरती हिलने, पहाड़ गिरने लग जाते हैं। आदमी मरने, गाड़ियां दबने लग जाती, आग लग जाती है, नुकसान कर देते हैं क्योंकि जो गलत कर्म इस वक्त पर आदमी कर रहा है। उत्तराखंड में ही देखो, बहुत मांसाहार बढ़ गया। नशे की गोलियां खिला-खिला करके लोग अपना आदमी बनाने के चक्कर में नौजवानों का जीवन बर्बाद कर दे रहे हैं। देवता इसीलिए नहीं खुश होते हैं क्योंकि ये पूजा का मंदिर गंदा हो गया है।

बच्चा जब पैदा होता है, शाकाहारी खून लेकर पैदा होता है

बच्चा जब पैदा होता है तो शाकाहारी खून लेकर पैदा होता है। दूध पीता है, अनाज खाता है, उसका खून बनता है। फल-फूल खाएगा तो उसका खून बनेगा। जब मांस खाएगा तो मांस से बना खून शाकाहारी खून से मेल नहीं खाता और तरह-तरह की बीमारियां शरीर में पैदा हो जाती हैं। खून का दौरा जब तेज होता है तो बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। जितने भी मांसाहारी जानवर हैं इनको क्रोध बहुत आता है। लड़ाई-झगड़ा, बीमारियों का यही कारण है। कोरोना और जो यह तरह-तरह की बीमारियां आ गई, अभी इससे भी भारी बीमारियां आने वाली हैं। उन सब का यही कारण है मांसाहार। मांसाहार नहीं करना चाहिए।

जिस मानव मंदिर से पूजा-इबादत करते हो वह जगह ही गंदी होने से पूजा इबादत स्वीकार नहीं होती

वही मांसाहार का खून बना, उसी खून का दौरा पूरा शरीर में हुआ तो हाथ में भी हुआ। हाथ से हवन करो, फूल-पत्ती चढ़ाओ, प्रार्थना पाठ खुदा भगवान का करोगे, कुछ भी करोगे, उससे ही तो बोलोगे जो जिस्मानी मस्जिद है। गंदी जगह से आवाज निकलेगी तो खुदा खुश होगा? कि भगवान प्रसन्न होंगे? कि गुरु ग्रंथ का पाठ पढ़ लोगे तो क्या गुरु के प्यारे हो जाओगे? कभी नहीं हो सकता है। ऐसा इसलिए इसको पाक साफ रखना चाहिए।

मानव मंदिर को साफ सुथरा रखकर पूजा इबादत करोगे तो पूजा कबूल होगी

जो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे बनाते हो आप उसमें मुर्दा-मांस डाल दो तो पूजा, नमाज, पाठ नहीं करते हो। ऐसे ही जब इसको साफ सुथरा रखोगे तब आपकी प्रार्थना कबूल होगी। वह मालिक दुनिया की कमी नहीं होने देगा। यह सब जैसे भोजन, कपड़ा, समाज में रहने के लिए मान प्रतिष्ठा यह सब उस प्रभु के हाथ में है।

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