वाराणसी के छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह पिछले 18 साल से अपने जीवित होने का सबूत दे रहे हैं। असल में राजस्व विभाग की नजर में स्वर्गवासी हैं। दरअसल राजस्व अभिलेखों के मुताबिक छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह की मौत 2003 में मुंबई में ट्रेन बम धमाकों में हो चुकी है। उनके रिश्तेदारों ने फर्जी तरीके से बने मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर उनकी साढ़े बारह एकड़ भूमि अपने नाम कराकर बेच भी दी। खुद को जिंदा साबित करने के लिए वह 17 साल से किसी न किसी तरीके से चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
‘मै खुद को ज़िंदा साबित नही कर पा रहा हूँ’
संतोष मूरत सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार मुझे मृत घोषित कर चुकी है, लेकिन मैं जिंदा हूं। उन्होंने 2012 में राष्ट्रपति चुनाव, 2014 और 2019 में वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव में नामांकन किया। उनका नामांकन ख़ारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने शिवपुर विधानसभा सीट से 2017 में चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। उनका कहना है कि ‘करीब बीस वर्षों से मै अपने आप को जीवित घोषित करने के लिए तमाम जद्दोजहद कर रहा हूँ लेकिन मै खुद को ज़िंदा साबित नही कर पा रहा हूँ, हर बार मुझे असफलता मिली।