जीवन शैली : आज जब लिखने बैठे तो समझ नहीं पा रही थी कि क्या लिखूं तभी अचानक 3 साल पहले की एक बात मुझे याद आ गई जो मेरीे शिक्षिका ने मुझसे कही थी वह चाहती थी कि कॉलेज में जाने से पहले मैं जीवन के 1 सत्त्य से अवगत हो जाऊं जिसका सामना मुझे आगे आने वाले हर एक पल ,हर दिन ,हर एक क्षण में करना है।

वह कहती हैं कि यहां से अब तुम्हारे जीवन का एक नया अध्याय शुरू होगा ,जहां तुम्हें अनेकों लोग मिलेंगे कुछ अच्छे तो कुछ बुरे मुझे पूरा यकीन है कि तुम उन में फर्क कर सही व्यक्ति को ही चुनेगी, परंतु कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बात का विशेष ध्यान रखना कि जरूरी नहीं जो तुम्हें सही लग रहा है वास्तव में वही सही हो क्योंकि आज के दौर में मुखौटो का रिवाज चल रहा है व्यक्ति जैसा दिखता है असल में वैसा है नहीं और मुखौटे के कारण हम उसकी असलियत नहीं देख पाते।

उनके चेहरे पर एक नहीं अनेक मुखोटे हैं जिन्हें वह अपनी सुविधा के मुताबिक इस्तेमाल करता हैं कभी हंसी का मुखौटा तो कभी प्यार का ,कभी स्नेह और विश्वास का मुखौटा लगाए वह हमसे मिलते हैं भीतर ही भीतर घृणा करते हुए भी वह हमसे मुस्कुरा कर मिलते हैं। इसलिए तुम्हें ऐसे लोगों से ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है उनकी बात सुनने के बाद मेरे मन में एक सवाल में जन्म लिया।

आखिर क्यों लोगों को इतने चेहरे की आवश्यकता होती है क्यों इतने मुखौटो का बोझ वे अपने चेहरे पर उठाए फिरते हैं ?

उत्तर देते हुए उन्होंने कहा इसका कोई एक कारण नहीं है इसके कई कारण हो सकते हैं कई संभावनाएं हो सकती हैं ।हो सकता है कि वह नहीं चाहते कि कोई भी उन्हें रोते देखें और उन्हें कमजोर व्यक्ति समझे या फिर हो सकता है कि वह अकेला महसूस कर रहा हूं कोई ऐसा ना हो जिसके साथ वह अपने दुख दर्द बांट सकें, उनकी बात खत्म होती इससे पहले ही मैं पूछ बैठी क्या इन मुखौटो को खत्म नहीं किया जा सकता क्या इन्हें हटाने का कोई तरीका नहीं है ?

वो बोली यह हट सकते हैं और इन्हें हटाने का केवल एक ही मार्ग है ।वह है प्रेम जहां पर प्रेम और प्रेम के साथ विश्वास अपनापन और सच्चाई होती है वहां इन मुख फोटो का वर्ष नहीं रहता यह स्वता ही समाप्त हो जाते हैं ।

और उनकी इसी सीख के साथ आज मैं अपने जीवन में आगे बढ़ रही हुं और अच्छे लोगों की संगति में हूं ।

लेखिका-कीर्ति गुप्ता

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