लखनऊ। सन्त और सतसंग न मिलने और खान-पान, चाल-चलन खराब हो जाने से घर-घर, गांव-गांव व देश-देश में लड़ाई-झगड़ा, हिंसा-हत्या बहुत बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में लोगों को सच्चा सुख दिलाने का, तकलीफों से बचने-बचाने का तरीका बताकर सही मायने में लोगों को सुख-शांति दिलाने वाले इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने अपने संदेश में बताया कि सन्तों के सतसंग से दूर होने से इस समय किसी की जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है। पहले अकाल मृत्यु नहीं होती थी। अब तमाम तरह की बीमारियां फैल गई।
उन्होंने आगे बताया कि मामूली रोग अब असाध्य बन गए। लड़ाई-झगड़े, दुश्मनी, क़ौम-कौमियत की वजह से लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं। जानवरों की तो फिर भी कीमत लगाते हैं लेकिन आदमी की कोई कीमत नहीं रह गई। हर सांस की कीमत लगानी चाहिए। पहले लोग सतसंग में जाने का नियम बना रखे थे, उस हिसाब से करते थे तो उनको फायदा मिलता था। मतलब की बात सबको याद रखनी चाहिए। कम खाओगे तो बीमारियों से और गम खाओगे यानी बर्दाश्त कर लोगे तो लड़ाई-झगड़ा, कोर्ट से बचे रहोगे। सतसंग की बातों को अमल में लाने से सुख-शांति बनी रहती है। घर में बरकत लाने के लिए महाराज जी ने अपने सतसंग में उपाय भी बताए। https://gknewslive.com