लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का ऐलान किया है। दरअसल राजनितिक विश्लेषकों की माने तो मायावती के भीतर अब सड़क पर आकर जनहित के मुद्दों को उठाने का माद्दा नहीं बचा है। दूसरी ओर बंगाल ओर महाराष्ट्र में जिस तरह से केंद्रीय जांच एजेंसियां विपक्ष के नेताओं पर हल्ला बोले हुए हैं उसका भी एक संदेश अन्य राज्यों में भी जा रहा है जिससे इस तरह के फैसले लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

बसपा सुप्रीमों को अपने नेताओं पर भरोसा नहीं
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मायावती की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि उन्होंने अपनी पार्टी में कभी सेंकेंड लाइन तैयार नहीं होने दिया। मायावती के साथ जो बड़े नेता थे वो सभी छोड़कर चले गए। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मायावती को अपने नेताओं पर भरोसा नहीं रह गया है। वह अपने अलावा किसी को लाइमलाइट में नहीं आने देना चाहती हैं। उनकी इसी रवैयै की वजह से लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दिकी जैसे नेता बसपा छोड़कर चले गए।

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