लखनऊ : यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर नई रणनीति बनाने में जुट गई हैं। सपा-बसपा और कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी पसमांदा मुसलमानों को साधने की कोशिश कर रही है। पसमांदा मुसलमानों को लेकर चल रही राजनीति पर मशहूर शायर मुनव्वर राना ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा की, इस्लाम में जात-पात की कोई अवधारणा नहीं है और न ही कोई भेदभाव है।

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उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए अपने इटरव्यू में कहा की, कुछ लोगों को पसमांदा का मतलब भी पता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि समाज में जो पिछड़ जाता है, उसे पसमांदा कहा जाता है। उन्होंने आगे हिंदुस्तान में मुसलमानों के इतिहास को लेकर कहा कि मैं ईमानदारी से कहता हूं कि मेरा बाप मुसलमान था और मैं इसकी गारंटी लेता हूं लेकिन मेरी मां भी मुसलमान थी मैं इसकी गारंटी नहीं लेता। उन्होंने कहा कि मेरा पिता मुसलमान था, जो फौज के साथ भारत आया था। फौजें अपने किरदार, व्यवहार और तौर-तरीकों के साथ अपनी अच्छी विचारधारा से हिंदुस्तान में घुल मिल गई। देश में कहीं निजामुद्दीन औलिया, कहीं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, कहीं वारिस अली शाह तो कहीं हजरत शाहमीना शाह की हैसियत से पूरे हिंदुस्तान में फैलते चले गए।

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