लखनऊ : संकट में जीवों कि मदद करने वाले, उनके धन पुत्र परिवार मान सम्मान में बढ़ोतरी करने वाले, नसीब से ज्यादा देने वाले, आसान तरीकों से जीवों के कर्मों को, आपसी लेन-देन को कटवाने वाले, अकाल मृत्यु से बचाने वाले, आगामी बुरे समय से आगाह करने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने विकोटा (आन्ध्र प्रदेश) में दिए संदेश में बताया कि एक-दूसरे के साथ कर्मो का लेना-देना होता है।

आप परिवार में रोटी पानी बनाते-खिलाते हो, कर्म अदायगी करने के लिए जुड़े हुए हो। सतसंग कार्यक्रम में विभिन्न जगहों से लोग आये हो। तो भंडारे में कोई नमक कोई आटा लाकर दे दिया, कोई बना दिया, कोई खिला दिया, तो आपका आपसी लेना-देना उसी में पूरा हो गया। गुरु ने आप पर दया की और आपका धन, सम्मान, इज्जत, पुत्र-परिवार बढ़ा, संकट में मदद की। तो आप पर गुरु का कर्जा है। अगर कर्जा अदा नहीं करोगे, गुरु आदेश का पालन नहीं करोगे, कलयुग का दिया हुआ अन्न-पानी खाते-पीते हो, उसी के आसमान के नीचे रहते, उसी की धरती पर चलते हो तो कर्जा मांगेगा और यदि नहीं दे पाओगे तो अकाल मृत्यु में जाओगे। प्रचार करो शाकाहारी नशा मुक्त लोगों को बनाओ। लोगों को बताओ-समझाओ, कलयुग के मुंह से लोगों को निकालो, सतयुग को लाने की इंतजारी कराओ, सतयुग के प्लेटफार्म पर आप लोगों को बैठाओ, गुरु का मिशन पूरा करो।

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