नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव  को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने जोरो-शोरों से तैयारियां शुरू कर दी हैं. जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत तक आरक्षण सूची जारी की जा चुकी है. ऐसे में प्रत्याशियों के मन में भी हिलोरें उठने लगी हैं. कुछ ऐसे हैं, जिनको पहले चुनाव लड़ने का अनुभव है. लेकिन कई युवा भी हैं, जो गांव की किस्मत बदलने के लिए प्रधान बनने की ख्वाहिश रखते हैं. लेकिन चुनाव लड़ने से पहले उम्मीदवारों को कुछ बातें जान लेना जरूरी हैं. कुछ ऐसी शर्तें हैं, अगर उम्मीदवार पूरा नहीं करते हैं, तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. आइए जानते हैं…

कौन लड़ सकता है चुनाव?

ग्राम प्रधान बनने के लिए कुछ योग्याताएं जरूरी हैं-

1.कम से कम 21 साल की उम्र होना चाहिए.

2.भारतीय नागरिक होना चाहिए.

3.पागल या दिवालिया नहीं होना चाहिए.

  1. सजायाफ्ता नहीं होना चाहिए.

इसके अलावा कई ऐसे मामले में हैं, जो यूपी पंचायत चुनाव में चर्चा है. अगर प्रत्याशी सहकारी समितियों के बकायेदार है, तो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. चुनाव लड़ने से पहले किस्त अदा कर नोड्यूज देना होता है. इसके अलावा जो प्रधान अभी तक अपने खर्च का ब्यौरा नहीं दे पाए हैं, वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. ब्यौरे के मामले में अंतिम फैसला अधिसूचना जारी करते वक्त लिया जाएगा.

क्या शैक्षणिक योग्यताएं भी हैं जरूरी?

भारत में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यताएं लागू करने की चर्चा लंबे से चल रही है. कई राज्यों में ग्राम प्रधान के चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता तय भी की गई हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी कुछ ऐसा नहीं है. उत्तर प्रदेश कम पढ़ लिखे प्रधान उम्मीदवारों को लेकर चर्चा चल रही थी. हालांकि, सरकार ने अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है.

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