धर्म कर्म: हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार धार्मिक संस्कारों में नारियल का ख़ास महत्व है. कोई भी व्यक्ति जब कोई नया काम शुरू करता है, तो भगवान के सामने नारियल फोड़ता है. चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है. विद्वानों के अनुसार यह फल बलि कर्म का प्रतीक है. बलि कर्म का अर्थ होता है उपहार या नैवेद्य की वस्तु. देवताओं को बलि देने का अर्थ है, उनके द्वारा की गई कृपा के प्रति आभार व्यक्त करना या उनकी कृपा का अंश के रूप मे देवता को अर्पित करना.

कैसे हुई नारियल चढ़ाने की परंपरा शुरू
एक समय सनातन धर्म में मनुष्य और जानवरों की बलि सामान्य बात थी. तभी आदि शंकराचार्य ने इस अमानवीय परंपरा को तोड़ा और मनुष्य के स्थान पर नारियल चढ़ाने की शुरुआत की.

नारियल का मनुष्य से है मेल
नारियल कई तरह से मनुष्य के मस्तिष्क से मेल खाता है. नारियल की जटा की तुलना मनुष्य के बालों से, कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से और नारियल पानी की तुलना खून से की जा सकती है. साथ ही, नारियल के गूदे की तुलना मनुष्य के दिमाग से की जा सकती है.

 

 

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