धर्म-कर्म : दुनिया हो या परमार्थ हो, सभी जगह सफलता प्राप्त करने के सूत्र अपने आध्यात्मिक पुत्रों को बताने वाले, सबको सेवा का अवसर देने वाले, परमार्थ यानी परहित के कामों में लगने और अपने भक्तों को लगाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि प्रेमियों! तौर-तरीका बदलने, मेहनत करने की जरुरत है। मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाती है। जो पढ़े-लिखे या संगतों का काम देखने वाले हो, आप लोग योजना बनाओ। योजना जैसे सरकार को कोई काम जैसे पुल बनाना होता है तो पहले योजना बनाती हैं, जगह नापती है, आदमियों के, इंजीनियर के रहने पानी बिजली की व्यवस्था करती है। तो पहले अधिकारी कर्मचारी इंजीनियर काम करते हैं फिर मजदूर आकर बनाते हैं।

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महराज जी कहते हैं की, जो लोग पढ़े-लिखे हो, आप लोग इस तरह से योजना बनाओ की हर कोई समझ जाए और काम आसानी से होजावे। जिम्मेदार लोग जिनको अनुभव है, उनका अनुभव सुनो। मान लो गाँव के थोड़ा कम पढ़े-लिखे लोग हो तो शहरों के ज्यादा पढ़े-लिखे को क्या, कैसे समझाओगे? लेकिन जब योजना बनी रहेगी, बनाने वाले ऐसी योजना बना देंगे कि तुम इस तरह का काम देखो, ऐसा काम करो, उसमें आप कामयाब हो जाओगे। काम जल्दी होगा और मेहनत भी बेकार नहीं जाएगी। आपस में राय मिला लो, किस तरह से काम किया जाए। आप लोग क्या कर सकते हो- यह खुद सोचो, दूसरों से पूछो फिर योजना बनाकर काम करो।

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