लखनऊ। उप्र भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की रिव्यू बैठक में लगातार अनुपस्थित रहे सात बिल्डर अपनी 18 परियोजनाएं नहीं बेच पाएंगे। न ही लेनदेन कर सकेंगे। लापरवाही व मनमानी पर प्राधिकरण ने बैंक खाते सीज करने के साथ खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का फैसला लिया है।

ये है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण ने 15 मार्च को बैठक की। जिसमें निरस्त रियल एस्टेट परियोजनाओं का रिव्यू किया गया। इस मीटिंग में अनुपस्थित रहने वाले प्रोमोटर्स को कठोर चेतावनी दी गई है। निरस्त रियल एस्टेट परियोजनाओं के प्रोमोटर्स प्राधिकरण की रिव्यू मीटिंग में लगातार अनुपस्थित पाए गए हैं। उनके विरुद्ध यूपी रेरा ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। प्राधिकरण के सचिव राजेश कुमार त्यागी के अनुसार रिव्यू मीटिंग में लगातार अनुपस्थित रहने वाले रियल एस्टेट परियोजनाओं के प्रोमोटर्स के बैंक खाते जल्द सीज़ किये जा सकते हैं। परियोजना पर रोक लगाने के साथ-साथ यूनिट की बिक्री और खरीद पर भी रोक लगाई जा सकती है। भविष्य में ऐसे प्रोमोटर्स की नई परियोजनाओं के पंजीयन पर पूर्णतः रोक लगाई जा सकती है। सचिव ने प्राधिकरण के सभी अधिकारियों को इस आदेश का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है। दरअसल, यूपी रेरा ऐसी परियोजनाओं की समीक्षा कर रहा है, जिनकी पूर्णता तिथि समाप्त हो चुकी है परंतु अब तक इनमें प्रोमोटर्स ने न तो परियोजना के पूर्ण करने की सूचना दी है और न ही परियोजना की कंप्लीशन डेट के एक्सटेंशन के लिए आवेदन किया गया है।

लखनऊ स्थित रेरा में 15 मार्च को रियल एस्टेट परियोजनाओं की रिव्यू बैठक हुई थी। जिसमें निरस्त रियल एस्टेट परियोजनाओं के बिल्डरों को बुलाया गया था। जिसमें लखनऊ, प्रयागराज, फिरोजाबाद, वाराणसी, मथुरा व कानपुर नगर के सात बिल्डर उपस्थित नहीं हुए थे। जिनकी संबंधित शहरों में 18 परियोजनाएं हैं। सचिव राजेश कुमार त्यागी के अनुसार रिव्यू बैठक में सात बिल्डर बराबर अनुपस्थित रहे हैं।

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