बदायूं। कहा जाता है की इस दुनिया में सबसे बड़ी योद्धा माँ होती है क्योंकि वह अपने बच्चों को नौ महीने कोख में रखने के बाद जन्म देती है, हर माँ अपने बच्चों से निश्छल प्यार करती है पर वही माँ अपने दुधमुहे बच्चों को छोड़ कर चली जाए तो, नन्हे मुन्हे बच्चों पर तो संकट का पहाड़ टूट पड़ेगा। मगर फैजगंज बेहटा क्षेत्र के गांव परमानंदपुर में पांच मासूमों की हालत देखकर हर किसी का दिल दहल जाता है, इन बच्चों को न तो मां की ममता मिली, और न पिता का प्यार। आपको बता दें करीब पांच साल पहले इन पांच मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया। पिता के गुजर जाने के करीब एक साल बाद मां भी उन्हें छोड़कर चली गई। रिश्तेदारों ने भी साथ नहीं दिया। बदकिस्मती के मारे पांचों बच्चे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उन्हें कोई जो खाने को दे देता है उसी से पेट भरके रात को सो जाते हैं। पांचों भाई-बहन पिता के कच्ची मिटटी से टूटे फूटे घर में रहते हैं। पांचों इधर-उधर घूमकर भीख मांगते हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक मांगे हुए कपड़े पहनकर दिन गुजार रहे हैं। सुबह होते ही चाय-नाश्ते की जुगाड़ में इधर-उधर घूमते रहते हैं। कहीं कुछ मिल गया तो ठीक, नहीं तो ऐसे ही दोपहर हो जाती है। फिर उन्हें खाने की चिंता सताने लगती है। आस पड़ोस के लोग कुछ मदद कर देते हैं। कस्बा ओरछी चौराहे जाने पर कुछ खाने का इंतजाम हो जाता है। अभी तक न कोई इन बच्चों की मदद कर रहा न ही इन बच्चों को गाँव के प्रधान की तरफ से कोई मदद दी जा रही है। क्या फायदा सरकार इतनी सुविधाओं का जब असहाय बच्चों को न तो खाने का भोजन मिल रहा न पहनने को कपडे।

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