धर्म-कर्म : जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, कौमवाद आदि वादों से दूर सिर्फ मानववाद- ये नज़ारा था उज्जैन आश्रम पर संपन्न हुए बाबा जयगुरुदेव जी के 11वें वार्षिक मार्गदर्शक भंडारा कार्यक्रम का। वार्षिक मार्गदर्शक अपने नाम के अनुरूप मार्गदर्शक बना कौमी एकता, जनकल्याण की एक नई अवधारणा का और भारत को विश्वगुरु बनाने के संकल्प का।
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कार्यक्रम में उज्जैन से 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर, बोहरा व सिख समाज के प्रमुख समेत अनेक धार्मिक, मज़हबी शख़्सियतों ने आत्म कल्याण के इस धर्म समागम में शिरकत की। हाथ जोड़कर विनय हमारी तजो नशा बनो शाकाहारी। नामदान के बदले गुरु दक्षिणा में आप अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ। दया, दुआ और बरकत का प्रसाद अपने हाथों से लेकर चीन, श्रीलंका, दुबई, अमेरिका, हांगकांग, मॉरिशस समेत अनेक देशों से आये बाबा के भक्तों ने हर्षोल्लास के साथ प्रस्थान किया।