लखनऊ : सुशान्त गोल्फ सिटी के अवध शिल्प ग्राम में बाबा जयगुरूदेव संगत द्वारा आयोजित दो दिवसीय सत्संग व नामदान में अंतिम दिन रविवार को संत उमाकान्त जी महाराज ने बाबा जयगुरूदेव के लाखो की संख्या में आये अनुयायियों को अमृत रूपी सत्संग का रसपान कराया। संत उमाकान्त जी महराज ने कहा कि देश में भारतीय संस्कृति ओर ईश्वरवादिता खत्म हो रही है. ये वही भारत है जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता था. ये हमारा वही देश है जहां श्री राम,कृष्ण ओर नानकदेव जी जैसे महापुरूष ओर संत हुये लेकिन लोग उन्हे भूलते जा रहे हैं. एक दिन सब को ये संसार छोड़कर जाना है.शरीर को मुक्ति तो श्मशान में मिल जाती है लेकिन आत्मा को मुक्ति तब तक नही मिलती जब तक वो अपने असली घर ना पहुंच जाये. सच्चे संत हमेशा वो ही रास्ता बताते है जीवो को जिससे उनका लोक व परलोक बन जायें।

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उन्होने सत्संग में आये लोगो को नामदान देते हुये मांस,मदिरा समेत सभी नशो का त्याग करने की अपील की। सत्संग में उ०प्र०सरकार के परिवहन मंत्री दया शंकर सिहं, सांसद जगदम्बिका पाल, भाजपा विधायक अमरेश कुमार रावत, सपा विधायक रविदास मल्होत्रा ने पहुंचकर संत उमाकान्त जी महाराज का आशीर्वाद लिया। सत्संग में अंतिम दिन संत उमाकान्त जी महाराज ने 500लोकतंत्र सेनानियों को संगत का पटका, फूला माला व रजत पदक पहनाकर सम्मानित किया। उन्होने लोकतंत्र सेनानियों से आव्हान करते हुये कहा आप लोग राष्ट्रकल्याण ओर जनकल्याण के लिये जो भी योजना बनाएंगे उसमें हम आप का साथ देगें। संयोजक राज प्रताप त्रिपाठी, नागेश्वर द्विवेदी, कन्हैया लाल गुप्ता, मंगूलाल, आंनद प्रकाश अवस्थी, नितिन सोनकर, राजेश मौर्या, बजरंगी भट्ट, राजेश पांडे, जिला पंचायत सदस्य अमरेन्द्र भारद्वाज, प्रधान ललित शुक्ला, प्रधान सूर्य कुमार द्विवेदी, जगदीश द्विवेदी, सत्य प्रकाश शुक्ला, साकेत त्रिपाठी, विनोद दीक्षित, शिवा मिश्रा लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता विंध्या शुक्ला समेत काफी संख्या में संगत के पदाधिकारी व लाखो की संख्या में अनुयायी मौजूद रहें।

भगवान इसी मनुष्य शरीर में मिलता है..
अपने आध्यात्मिक सन्देश में संत उमाकांत जी महाराज ने बताया कि इस धरती पर जब लोग भगवान को भूलने लगते है, मौत को भूलने लगते है, सत्य, अहिंसा, परोपकार को भूलने लगते है और उस भूल को दूर करने के लिए किसी जानकार के पास नहीं जाते तो गलत काम करने लगते है और परेशान होते है। इसलिए समरथ गुरु की ज़रूरत होती है क्योकि अगर वो भगवान मिलता है तो इसी मनुष्य शरीर में मिलता है और जीते जी मिलता है। मरने के बाद आज तक किसी को नहीं मिला इसलिए उस प्रभु को याद करों जब वो मिल जाएगा तो दुनियां की चीज़ें अपने आप मिल जाएंगी।

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