धर्म-कर्म : जीते जी मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने का पांच नामों वाला मार्ग नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, आत्मकल्याण के साथ-साथ दुनिया की दुःख तकलीफों में भी आराम दिलाने वाले पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि इस धरती पर जब लोग भगवान को भूलने लगते है, मौत को भूलने लगते है, सत्य, अहिंसा, परोपकार को भूलने लगते है और उस भूल को दूर करने के लिए किसी जानकार के पास नहीं जाते तो गलत काम करने लगते है और परेशान होते है। इसलिए समरथ गुरु की ज़रूरत होती है। क्योकि अगर वो भगवान मिलता है तो इसी मनुष्य शरीर में मिलता है और जीते जी मिलता है। मरने के बाद आज तक किसी को नहीं मिला इसलिए उस प्रभु को याद करों जब वो मिल जाएगा तो दुनियां की चीज़ें अपने आप मिल जाएंगी।

गुरु दक्षिणा में अपनी बुराइयों को यहीं छोड़ जाओ:-

महाराज जी ने सतसंग सुनाते हुए कहा कि गुरु दक्षिणा की भारत में परम्परा रही है तो आप भी देदो। लेकिन देना क्या है ये समझ लो,आप गुरु दक्षिणा में अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ कोई ऐसा काम मत करो जिससे किसी का दिल दुखे। अब तक जो आपने मांस खाया, मछली खाई, अंडा खाया, शराब जैसे बुद्धि नाशक नशे का सेवन किया दूसरी महिला के साथ बुरा कर्म किया। वो अब मत करना। “दया धर्म तन बसे शरीरा ताकि रक्षा करें रघुवीरा” अब तक जो जीव हत्या की उसे बंद करो और जीव हत्या वाला भोजन ना करने का संकल्प बनाओ। अंडा बेहद गंदी चीज़ है ना खाना ना बच्चों को खिलाना। शराब में एक हजार बुराई है। इसे पीने के बाद इंसान होश में नहीं रहता तो ऐसे नशे का सेवन ना करो जिसे पीने के बाद बुद्धि काम ना करें और होश में ना रह जाओ।

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