धर्म-कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, लक्ष्मी को घर में रोकने का उपाय बताने वाले, व्यापक रूप से लोगों को शारीरिक व आत्मिक दुःख तकलीफों में लाभ दिलाने का उपाय करने वाले, गुरु की दया लेने का तरीका बताने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बावल आश्रम में बताया कि लक्ष्मी को, खाने व खर्च करने से ही मुक्ति मोक्ष मिलता है। लेकिन मन इसी माया की छाया में लगा है। मन को इससे हटाओ और गुरु को खुश करने मे लगाओ। गुरु के नाम-काम को आगे बढाने, लोगों को गुरु दया दिलाने, शरीर व आत्मा की दु:ख तकलीफ दूर करने और आत्मा को भी शरीर छोड़ने के बाद मुक्ति-मोक्ष दिलाने के लिए बाबा जयगुरुदेव जी का मंदिर बावल, रेवाड़ी (हरियाणा) में बनाया जा रहा है। इसके लिए सबको अपने-अपने स्तर से तन मन धन से तेजी से प्रयास करना है। कोई भी हो, गुरु की दया बिना, न दुनिया में न ऊपरी लोकों में तरक्की कर सकता है।
ऐसे प्रयास करना है:-
महाराज जी ने कहा की, अपने-अपने हिसाब से कोशिश करो कि गुरु के नाम का स्थान यहां जल्दी से जल्दी बन करके तैयार हो जाए। जिससे इस स्थान पर मत्था टेकने व आने-जाने वालों को फायदा लाभ का अनुभव होने लग जाए। खराब समय से और जानमाल के नुकसान से बचने के लिए उनको रास्ता मिलने लग जाए। इसलिए सबको अपने-अपने स्तर से प्रयास करने की जरूरत है। जब कोई भी काम करना होता है, उसमें दिल-दिमाग लगाते हैं तब उसमें सफलता मिलती है। जैसे घर में मन, व्यापार में धन, लगाते हो, शरीर से मेहनत करते हो, तब आमदनी होती है, दूकान चलती है, नाम होता है, समझो तीनों की जरुरत होती है। ऐसे ही परमार्थ का जब कोई काम करना हो उसमें भी तन, मन, धन तीनों की सेवा करनी पड़ती है। धन भी परमार्थ में जब लगता है तब पूरा का पूरा लाभ मिल पाता है। आप लोग अपने-अपने स्तर से, जो कर सकते हो, करो। तन धन और मन लगाकर भी यहां काम करना पड़ेगा। आप लोग अपनी-अपनी योजना बना लो।