धर्म-कर्म : लक्ष्मी को घर में रोकने के उपाय बताने वाले, कुदरत की बढ़ती नाराजगी और त्रिकालदर्शी होने के नाते कुदरत द्वारा अभी और आगे भी, दी जाने वाली सजा से सतर्क करने वाले, पापों को क्षमा करने का उपाय बताने वाले, दुःखहर्ता, लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि बहुत से लोग कहते हैं कि कमाई तो बहुत हो रही है लेकिन बरकत नहीं हो रही है। दिखाई नहीं पड़ रहा है कि कहां चला जा रहा है। कारण है कि पहले संकल्प था की आमदनी का दसवां अंश अच्छे काम में लगाना ही लगाना है। वह संकल्प लोगों ने अब तोड़ दिया, वह परिपाटी छोड़ दी, भारतीय संस्कृति से अलग हो गए इसीलिए एक तरह से कुदरत ने नंगा कर दिया।

धन व मन से बने पाप को क्षमा करने का उपाय:-

जो यह दो युग का समावेश है- कलयुग और सतयुग के बीच का समावेश है, यह समय लोगों के लिए बड़ा ही दुखदाई होगा। जो धन से पाप हो जाए उसे क्षमा करने के लिए सेवा में लगाना चाहिए। जो मन से पाप हो जाए तो मन से भी इच्छा रखनी चाहिए हम किस तरह से लोगों के अंदर धर्म ले आवें, हमें किस तरह से लोगों के अंदर ईश्वरवादिता ले आवे, भगवान को लोग मानने लग जाए जो भूलते चले जा रहे हैं, किस तरह से लोगों को शाकाहारी नशामुक्त बना करके मानव मंदिर को गंदा करने से रोक करके उसके अंदर प्रभु का दर्शन करवा दें, किस तरह से लोगों को हम नामदान दिला करके सुमिरन ध्यान भजन समझा करके जन्म मरण से छुटकारा मुक्ति मोक्ष दिला दें, इसकी फिक्र लोगों को मन से करते रहना चाहिए, सोचते रहना चाहिए।

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