धर्म-कर्म : जीते जी प्रभु से मिलने का तरीका नामदान बताने वाले, जान-अनजान में बने पाप कर्मों की मिल रही सजा से बचने का उपाय बताने वाले, जिनके रूप में वो सबका परम पिता अभी इस धरती पर स्वयं आया हुआ है, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बताया कि इन चर्म आँखों-कानों से उस प्रभु को देख -सुन नहीं सकते।
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तो असली चीज नहीं मिल पाती और नकली में ही लोग फंसे रहते हैं, इस दुनिया संसार से चले जाते हैं। पाप कर्म ही लोगों को सजा दे रहे हैं। मनुष्यों के पाप कर्मों की सजा ओला, पत्थर, बाढ़, भूकंप, वज्रपात आदि के रूप में मिल रही। घिरी बदरिया पाप की, बरस रहा अंगार। सन्त न होते जगत में, जल मरता संसार॥ सन्त ही संभालते हैं। सन्त हमेशा इस धरती पर रहते हैं। सन्तों को ही गुरु, सन्त सतगुरु कहा गया है। https://youtu.be/exmmYv40L0w