लखनऊ: देश में आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा अभी से जुट गई है | सत्ता में वापसी के लिए भाजपा कोई कोई कसार नहीं छोड़ना चाहती | इसी क्रम में पार्टी जल्द प्रदेश के कई जिलों के जिलाध्यक्षों में बदलाव करने जा रही है और जल्द ही नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर सकती है। बताया जा रहा है कि आगामी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने में पेंच फंस गया है। प्रदेश नेतृत्व लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक मंथन कर रहा है।

आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा के 98 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष बदलने की चर्चा चल रही है। पार्टी ने जुलाई में सभी जिलों में पर्यवेक्षक भेजकर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए पैनल तैयार कराया है। पैनल में हर जिले से तीन से चार दावेदारों के नाम हैं। लेकिन इन नामों पर क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ मंथन नहीं हुआ है। उच्च स्तर पर हुए विचार में सभी छह क्षेत्रों में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाना जरूरी है। अगड़ी, पिछड़ी और दलित वर्ग की सभी जातियों के साथ महिलाओं को प्रतिनिधित्व भी देना है।

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सूत्रों के मुताबिक सभी क्षेत्रों में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। जिन जिलाध्यक्षों के दो से तीन कार्यकाल पूरे हो गए हैं उनका हटना तय है। लेकिन जिन्हें विधानसभा चुनाव से पहले ही मौका मिला था या जिनका एक ही कार्यकाल पूरा हुआ है उन्हें दूसरा मौका मिल सकता है।

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