धर्म- कर्म: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला हरछठ (हलषष्ठी) व्रत आज है । यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है, इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है, इसी कारण इस पर्व को ‘हलषष्ठी’ या ‘हरछठ’ कहते हैं। इस दिन विशेष रूप से हल की पूजा करने और महुए की दातून करने की परंपरा है।

इस दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और उसके स्वस्थ्य जीवन की कामना के लिए व्रत रखकर पूजन आदि करती हैं। इस व्रत में विशेष रूप से गाय के दूध और उससे तैयार दही का प्रयोग वर्जित है। हरछठ व्रत से एक दिन पहले रविवार को बाजार में पूजन सामग्री खरीदने महिलाएं बाजार पहुंचीं। जहां पूजन सामग्री के अलावा पूजन में चढ़ने वाले फल और बांस से बनी छोटी टोकनियां की खरीदारी की। आज हरछठ का व्रत मुख्यालय सहित पूरे जिले में विधिविधान से मनाया जाएगा।

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हल षष्ठी 2023 शुभ मुहूर्त …

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ- 4 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 41 मिनट पर
षष्ठी तिथि आरंभ समापन- 5 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर
हल षष्ठी तिथि- 5 सितंबर 2023

हल षष्ठी पूजा विधि…

हल षष्ठी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर साफ कपड़े पहन लें।
इसके बाद भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
अब मंदिर या पूजा घर में गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें।
फिर चौकी पर बलराम जी और भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रख दें।
दोनों देवताओं को चंदन का तिलक कर फल, फूल, धूप, दीप आदि सामान अर्पित करें।
श्रीकृष्ण की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के साथ छठ माता की भी पूजा करें।
वहीं आज के दिन बलराम जी के शस्त्र ‘हल’की भी पूजा करना शुभ माना जाता है।
हल षष्ठी के दिन गाय के दूध व दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन हल से जोते गए किसी भी अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए।

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