धर्म कर्म: जीवात्मा की संभाल करने वाले, जिनको देख कर यमदूतों को मजबूरन दूर हटना पड़ता है, कर्मों की सजा से भी बचाने वाले, अपनी आँखों देखी बात बताने वाले, सत्यता का बोध कराने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने कहा की, देखो प्रेमियों, गृहस्थी आप चलाते हो। बीवी और मिया दो मिल कर के गृहस्थी को चलाते हो। ऐसे दोनों मिल कर के इस काम को भी करो आप। पत्नी पिछड़ जाती है, नहीं जा पाऊंगी, तुम चले जाओ। वो (पति) कहता है तुम नहीं जाओगी तो मैं भी नहीं जाऊंगा।

यह भी पढ़ें : रेल यात्री ध्यान दें: G-20 के दौरान 400 से अधिक ट्रेन प्रभावित, 207 निरस्त

दोनों तैयार हो जाते हैं। दोनों सतसंग में चले जाते हैं, दोनों साप्ताहिक सतसंग में चले जाते हैं, दोनों प्रचार में चले जाते हैं। जैसे गृहस्थी की गाड़ी आप दोनों मिल कर के चलाते हो वैसे ही परमार्थ की गाड़ी आप दोनों मिलकर के चलाओ। मनुष्य ही परमार्थ कर सकता है। हर कोई परमार्थ नहीं कर सकता। परमार्थ किस को कहते हैं ? ऐसा काम करो कि जिससे लोगों की रक्षा हो। ऐसा काम करो कि जिससे लोगो को सुख और शांति मिले। ऐसा काम होता है परमार्थ। अगर कोई भूखा है, दुखी है तो रोटी खिला दिया, प्यासा है तो पानी पिला दिया। जैसे कोई भटक रहा है उसे रास्ता बता दिया।

यह भी पढ़ें : 15 सितंबर तक SSF के हवाले हो जाएगी राम जन्मभूमि की सुरक्षा 

तो कहते हैं ये परमार्थ है। लोग भटक रहें हैं उनको रास्ता नहीं मिल रहा है, आप उनको समझा दोगे तो ये बहुत बड़ा परमार्थ होगा। कोई जानवर आदमी को थोड़ी ना समझा सकता है, आदमी समझा सकता है। आदमी, आदमी को समझा सकता है। तो ये काम जब आप करोगे तो ये बंधन आपके कटेंगे। दोनों बंधन तभी कटेंगे। जब भजन करोगे और भजन कराओगे, सेवा करोगे और कराओगे तब ये बंधन कटेंगे। तब ये मोटा मन दुबला और हल्का होगा। मोटा आदमी, मोटा पत्थर, मोटी चीज जल्दी उड़ नहीं पाती और अगर हल्का हो जाय तो उड़ जाए। ऐसे ही ये मन जब हल्का होगा तो ये जो सुरत के साथ लगा हुआ है तभी ये सुरत के साथ ऊपर जा पाएगा। वरना ये नीचे ही खींचा रहेगा। इन्द्रियों की तरफ ही इसको सुख दिलायेगा, रस दिलायेगा।

 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *