लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मिली हार के कारण पर अखिलेश यादव के मन की बात सामने आई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों (पीडीए) को जोड़ने की रणनीति के तहत अगर 2022 के विधानसभा चुनाव में दलित वर्ग को जोड़ा होता तो जिन सीटों पर हम 200 से लेकर 5000 हजार वोटो से हारे हैं, वे हम जीत जाते। इस बार भाजपा को हराने के लिए समाजवादी व अंबेडकरवादी एकजुट हैं। बहुजन समाज के बीच हम जाएंगे और पार्टी को मजबूत करेंगे। कांशीराम पुण्यतिथि के पहले उनके इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल, अखिलेश यादव इन दिनों प्रदेश पीडीए फ्रंट को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं।

अखिलेश रविवार को पार्टी कार्यालय पर बाबा साहब वाहिनी और एससी प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। जहां उन्होंने कहा की भाजपा बाबा साहेब के बनाये संविधान को बदलने की तैयारी कर रही है। भाजपा जातीय जनगढ़ना नहीं करा रही है। अगर देश में जातीय जनगढ़ना हो जाये तो सभी को अपना हक और सम्मान मिल जाएगा। बिहार के बाद अब राजस्थान में भी जातीय जनगड़ना होने जा रही है। और अब इस पक्ष में कोंग्रस भी आ गयी है। उन्होंने कहा की देश की सौ करोड़ से ज्यादा जनता भाजपा से नाराज है। भाजपा जातीय जनगढ़ना कराने से दूर भाग रही है। भाजपा लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हरने वाली है। सभी ने देखा कि घोसी में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्रियों और प्रशासन ने कोई कसर छोड़ी नहीं उसके बावजूद भी जनता ने भाजपा को करीब पचास हजार वोटों से हरा दिया। खतौली और मैनपुरी में भी भाजपा को जनता ने आईना दिखाया। अब अखिलेश यादव ने दलित वर्ग की बात जोड़कर एक बार फिर से जातीय जनगढ़ना को हवा दे दी है।

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