धर्म कर्म: त्योंहारों और पर्वों को स्थापित करने, मान्यता देने के मूल उद्देश बता समझाकर भौतिक और शारीरिक लाभ दोनों दिलाने वाले, जीवात्मा को मुक्ति-मोक्ष दिलाने का सरलतम मार्ग पांच नाम का नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, सही ध्यान भजन क्या होता है, कैसे करते हैं, उसके क्या लाभ हैं, आदि सब अध्यात्मिक उपाय बताने, समझाने, करवाने, और मंजिल पर पहुंचाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बावल आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि ये क्वार का महीना सर्दी, जुखाम, बीमारी, बुखार लाने वाला होता है क्योंकि दो ऋतुओं की संधि होता है। इस महीने में आने वाली नौ दिन की नवरात्र में बड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। ज्यादातर बीमारियाँ पेट की खराबी की वजह से होती है। पेट थोड़ा खाली रखा जाए तो बिमारियों का हमला नहीं होगा। लोग उपवास रहते हैं। ये नियम इसलिए बना दिया गया कि धर्म को लोग मानते हैं। कहा गया धर्म-कर्म करो, धर्म का पालन करो, धार्मिक देश में हो। यह बना दिया गया कि यह धर्म है, उपवास करना, व्रत रहना, भूखा रहना, यह व्रत बना दिया गया जिससे पेट साफ हो जाए। उसका तरीका है कि पेट को खाली रखा जाए। अगर तकलीफ है और तकलीफ को दूर करना है, पेट की बीमारी है तो केवल नींबू पानी ही पिया जाए, जिससे अंदर की मशीन, आंतडियां साफ हो जाए। फिर उसमें जब कोई चीज डालो तो आराम से पच जाए और पचाव होकर मल-पेशाब ठीक से निकले।
अगर नींबू पानी का न कर सके तो ये करें
अगर केवल नींबू पानी न चले तो एक टाइम खाया जाए, हल्का खाया जाए। खिचड़ी, दलिया या ऐसी चीजें जिसका पचाव जल्दी हो जाए। पत्तेदार सब्जी फायदा करती हैं। आलू में पूरा तत्व मिलता है लेकिन आलू के साथ और कोई चीज फिर न खाया पिया जाए। केवल आलू उबाल करके खा लो तो भी पेट की सफाई हो जाती है। कुछ चीजें नुकसान करती हैं जैसे केवल चावल खाओ तो आराम से हजम हो जाएगा उसके साथ दाल या सब्जी मिला लोगे तो देर में हजम होगा। उसका मसाला चिकनाहट पैदा करता है। नवरात्र का समय पेट के लिए फायदेमंद समय होता है। बीमारियों को दूर करने के लिए लोग उपवास रहते हैं कि हम बीमार रहते थे, घुटनों में दर्द, गैस आदि तरह-तरह की बीमारियां थीं लेकिन जब से नवरात्र में उपवास की है, मौसम बदलने के इस समय, तब से कई बीमारियां दूर हो गई। यह 9 दिन का इसलिए बनाया गया कि यह भजन, ध्यान करने का अच्छा समय होता है। मनुष्य शरीर के साथ में लगाए गए तीनों गुण- रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण, इसमें ढीले पड़ते हैं। तमोगुण- तनिक देर में गुस्सा आना, रजोगुण- आरामतलबी और सतोगुणी प्रवर्ती यानी भगवान का याद आना भी जरुरी है। पूरी व्याख्या महाराज जी ने अपने सतसंग में बताई।