लोकसभा चुनाव: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे जोड़तोड़ की राजनीति भी शुरू हो गयी। सत्ता के गलियारे से यह खबर है कि कानपुर शहर के विपक्षी दलों के कई नामी पार्षद नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। अभी इन नामों पर खुलकर मोहर नहीं लगायी जा सकती लेकिन सूत्रों के अनुसार इनमें ज्यादातर नेता सपा और कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, जोकि पिछला निकाय चुनाव जीतकर पार्षद बने हैं। वहीं भाजपा पहले अपने रूठे हुए नेताओं को वापस भाजपा में शामिल करने के प्रयास में लगी है, जिन्हे पिछले निकाय चुनाव के दौरान टिकट नहीं प्राप्त हो पाया था। भाजपा की रणनीति यही रहेगी कि पहले अपने रूठे नेताओं को वापस शामिल करे और उसके बाद अन्य विपक्षी पार्टियों के पार्षदों पर विचार करे।

पार्टी के खराब भविष्य के चलते पार्टी छोड़ रहे नेता

पिछले निकाय चुनाव के दौरान भी सपा और कांग्रेस के कई बड़े पदाधिकारी भाजपा में शामिल हुए थे और इस बार जो पिछली बार सपा और कांग्रेस से टिकट मिलने पर अपनी अपनी सीटों पर विजयी हुए थे, वे भी भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। सूत्रों की माने तो ऐसा इसलिए है क्योंकि नेताओं को सपा और कांग्रेस का भविष्य नजर नहीं आ रहा।

महापौर और विधानसभा अध्यक्ष के संपर्क में कई विपक्षी नेता

शहर की राजनीति में यह खबर तेज है कि महापौर प्रमिला पांडेय की मदद से एक सपा पार्षद भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। खबरों की माने तो यह पार्षद नेता सपा विधायक अमिताभ बाजपेई के काफी करीबी हैं। वहीं भाजपा संगठन के एक बड़े पदाधिकारी ने बताया है कि यह नेता कई बार भाजपा में शामिल होने की अर्जी लगा चुके हैं लेकिन अभी सभी नामों को होल्ड पर रखा गया है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के संपर्क में भी दो विपक्षी पार्षद हैं। पदाधिकारी के अनुसार भाजपा ज्यादा से ज्यादा नेताओ को अपने साथ जोड़ना चाहती है, जिससे चुनाव लड़ने में और अधिक मजबूती मिलेगी। लेकिन पहले उन नामों पर विचार करना होगा जो किसी वजह से भाजपा छोड़ चुके हैं या जिन्हे पिछली बार टिकट नहीं मिल पाया था।

अखिलेश यादव को भी जता चुके हैं अपनी नाराजगी

बताते चलें कि इससे पहले सपा के कई बड़े पदाधिकारियों ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने नाराजगी दिखाते हुए अपने ही सपा विधायक की शिकायत की थी कि, यह पार्टी के प्रचार-प्रसार में कोई भूमिका नहीं दिखाते हैं और इसी वजह से कई पार्षद इनसे रूठे हुए हैं। यह सभी नेता लगातार बीजेपी के संपर्क में बने हुए हैं।

 

 

 

 

 

 

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