धर्म कर्म: वर्तमान और भविष्य की तकलीफों से बचाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने को अहमदाबाद में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बीमारियां घर-घर में फ़ैल गयी हैं है। एक अगर ठीक हुआ तो दूसरा बीमार हो गया, तीसरा बीमार, चौथा बीमार। बहुत से लोगों का तो तनख्वाह मिलते ही बजट बन जाता है की इतना रुपया दवा में खर्च करना ही करना पड़ेगा। तो वह अलग से उसको बचा कर रखते हैं। ज्यादा बीमारी आ गई तो उधार लेना, गाय बैल बेचना, औरत का जेवर, जमीन आदि भी गिरवी रखना पड़ जाता है। कारण? खून बेमेल हो जाता है तब तरह-तरह की बीमारी आ जाती है। लोगों के कर्म खराब हो जाते हैं, बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तो इस वजह से बीमारी आ जाती है। हवा पानी मौसम के बदलाव की वजह से आई बीमारी तो दवा से ठीक हो जाती है लेकिन कर्मों की बीमारी जल्दी ठीक नहीं होती है।
कर्म खराब क्यों होते हैं
इन्हीं गलत चीजों को खाने-पीने की वजह से। जो आप पढ़े-लिखे लोग हो, रेडियो सुनते, अखबार पढ़ते हो, लोगों के बीच में बैठते हो, जानकारी करते हो, आपको मालूम है कि भ्रष्टाचार और अपराध इन्ही दो वजहों से बढ़ता चला जा रहा है- नशा और मांस खाने की वजह से। क्योंकि तब दया इनके अंदर नहीं रह जाता है, बुद्धि उनकी वैसी हो जाती है तो फिर भ्रष्टाचार और अपराध करने में डरते नहीं है, तो वैसे ही आदत हो जाती है।
कुदरती कहर, तकलीफें तो आगे आ रही
कर्म प्रधान विश्व रची राखा। जो जसी किन्ही सो तो फल तसी चाखा।। धृष्टराष्ट्र ने कृष्ण से पूछा मैं अंधा क्यों हो गया? बोले तुम्हारे कर्म खराब थे बोले। कहा कि इस जन्म में तो मैंने कोई बुरा कर्म किया नहीं। बोले पीछे जन्म में आपने किया। कहा पिछले 100 जन्मों का मुझे याद है। बोले और पीछे देखो। 106 जन्म के पीछे जो उनसे बड़ा कर्म बन गया था, उसकी वजह से उनको अंधा होना पड़ा। कर्मों की सजा सबको भोगना पड़ता है। लोगों का कर्म जब तक नहीं कटवाया जाएगा, इनको शाकाहारी नहीं बनाओगे तब तक दोनों तरफ से परेशानी जाने वाली नहीं है। आज की तारीख तक जो कुदरती कहर है, तकलीफ है वो कुछ भी नहीं है। ये तो आगे आयेंगे, बहुत आयेंगे। अभी लोगों को बचाना अपना बहुत बड़ा धर्म बनता है। जितने भी नामदानी धर्म प्रेमी हो, आप लोग इस काम में लगो। इनको सबसे पहले शाकाहारी नशा मुक्त बनाओ जिससे मानव मंदिर इनका साफ रहे,ये कोई भी पूजा उपासना करें तो प्रभु कबूल करें, सुनवाई करें, यह सबसे ज्यादा जरूरी है।