धर्म-कर्म : भवसागर पार कराने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि न तुमको मां के पेट का याद है और न पैदा होने का याद है। लेकिन (पैदा होते समय) सब चिल्लाए थे। यह काल और माया का देश हैं। जो इस दुनिया को पल भर में समेट ले, समय के सबसे छोटे माप को पल कहते हैं, पल भर में खत्म कर दे, पलभर में बना दे, उसको काल कहते हैं, उसी के हाथ में यह सब कुछ है। यह शरीर भी उसी के अधीन है। माया औरतों को कहते हैं, जब तक ज्ञान नहीं होगा तब तक इससे कोई बच नहीं सकता है।

काल जीवों पर दांव कब नहीं मार पाता:- 

आपका शरीर भी काल भगवान की ही है। वह अभी हवा बंद कर दे तो दम घुटने लग जाए। सूरज निकलना बंद कर दे तो अभी रोग फैल जाए, शरीर रोगी हो जाए। अभी बहुत तेज हवा चला दे तो जीना मुश्किल हो जाए। तो यह पूरा माहौल उन्हीं के अधीन है। वह खुश कब होते हैं? जब प्रभु पिता के आदेश का पालन जीव करता है। पिता को तो आप इन बाहरी आंखों से देख नहीं सकते हो और न ही पिता के पास (सीधे) पहुंच सकते हैं। लेकिन पिता के जैसे ही काम करने वाले जो सन्त सतगुरु होते हैं, जो जीवों को अपनाते हैं, अपने बच्चों की तरह मानते हैं, उनके आदेश का पालन करने पर काल दांव नहीं मार पता है।

अवतारी शक्तियों में जीवों को पार करने की ताकत नहीं होती है:- 

महाभारत के युद्ध के बाद कृष्ण ने कहा मैं भी अब जाऊंगा, मेरा भी अब समय पूरा हो गया। तब पांडवों ने कहा, महाराज हमको भी लेते चलिए। बोले, नहीं, तुमको मै नहीं ले जा पाऊंगा। मेरा काम यह नहीं है। यह तो सन्त सतगुरु का काम है। तुम उनकी खोज करो, उनसे साधना, योग का रास्ता लो। योग साधना जब तुम करोगे तब तुम मेरे धाम पहुंच सकते हो। मेरे अंदर वह ताकत नहीं है। महाराज जी ने कहा कि, अवतारी शक्तियों में जीवों को पार करने की ताकत नहीं होती है। वह तो सन्त सतगुरु में ही होती है। उनकी खोज करो, उनके पास जाओ। बाबा जी ने कहा कि, पांडव बहुत रोये, गिडगिडाये कि पूरी जिंदगी इसी उम्मीद में मैं लगा रहा कि जब आप जाएंगे, हमको साथ लेते जाएंगे। अब बुढ़ापे में सतगुरु को कहां से खोज पाऊंगा, कैसे अब योग साधना कर पाऊंगा? दया कर दो, लेकिन कृष्ण ने मना कर दिया और कहा, ये नहीं हो सकता है।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *