लखनऊ: यूपी में पंचायत चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा आदेश जारी किया है. निर्वाचन आयोग के मुताबिक सहकारी समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं लड़ेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिया है.
निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी से सहकारी समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की रिपोर्ट भी मांगी है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में किस पद के लिए उम्मीदवार कितना खर्च कर सकता है, इसकी भी सीमा निर्धारित कर दी गई है. साल 2015 में इस खर्च सीमा में कुछ बदलाव किया गया था और उसे ही इस बार भी लागू किया गया है. इसके मुताबिक ग्राम पंचायत सदस्य दस हजार रुपए खर्च कर सकता है. ग्राम प्रधान और बीडीसी 75 हजार रुपये खर्च कर सकते हैं. जबकि जिला पंचायत सदस्य एक लाख रुपये अपने चुनाव में खर्च कर सकता है. वहीं, ब्लाक प्रमुख दो लाख रुपये खर्च कर सकता है. जबकि, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में चार लाख रुपये तक खर्च कर सकता है.
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
बीजेपी के बड़े नेता हमेशा इस बात को कहते हैं कि पार्टी हर वक्त चुनाव के मूड में रहती है. फिर चाहे वह ग्राम प्रधानी का चुनाव हो, विधायक का चुनाव हो या फिर सांसद का चुनाव. पार्टी हर वक्त तैयार रहती है. इस बार उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी जोर-शोर से जुटी हुई है. बीजेपी की कोशिश है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले इन पंचायत चुनाव में भी ज्यादा से ज्यादा सीटें वह जीते जिससे चुनाव से पहले जनता के बीच पार्टी के पक्ष में संदेश जाए. इन पंचायत चुनाव में बीजेपी जोर शोर से जुटी हुई है. पहले पार्टी ने प्रदेश के 3051 जिला पंचायत वार्ड में बैठकें की और उसके बाद अब 11 मार्च से पार्टी की ग्राम सभा स्तर पर ग्राम चौपालों की शुरुआत कर दी है. पार्टी ने इसे नाम दिया है ग्राम संपर्क अभियान. उत्तर प्रदेश में कुल 58194 ग्राम पंचायतें हैं और इन सभी जगह पर बीजेपी ग्राम चौपाल लगाएगी.