धर्म-कर्म : कर्म आधारित संसार में कर्मों को ही काटने का सर्वोत्तम औजार देने वाले, वक़्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, जो सच्ची चीज है, उसको नहीं खरीदते हो और जो आपके काम न आए उसको खरीदने में लगे हुए हो। ये जो दुनिया की चीजें- सोना, चांदी, हीरा जो आज लोग खरीद रहे हैं, मरने के बाद किसी के काम आएगा? मौत तो आनी ही आनी है। कब आ जाए, कोई भरोसा नहीं है। मौत तो इंतजार कर रही है कि इसको जो जीने के लिए समय मिला है, सांसों की पूंजी मिली है, जैसे ही खर्च हो तैसे ही हम इसके शरीर को गिरा दे, मिट्टी में मिला दे। इसके लिए मौत खड़ी हुई है। लेकिन आप सब लोग भाग्यशाली हो कि आप घर से निकल कर के और असली चीज लेने के लिए,असली सौदा लेने के लिए यहां (सतसंग कार्यक्रम में) आए हो।
नाम, सुमिरन ध्यान भजन कर्मों को तोड़ने का है हथौड़ा:-
बाबा जी ने कहा कि, अगर किसी को बार-बार सेवा में, प्रचार-प्रसार में लगा दिया जाए, बार-बार अगर उससे काम लिया जाए, तो उसका मन भी भजन में लगने लगेगा। इसीलिए बहुत से रास्ते सन्तों ने निकाल दिए हैं। तो जब कर्म कटते हैं तब (अंतर में) सुनाई भी पड़ता है, दिखाई भी पड़ता है। तो कर्मों की वजह से दिखाई-सुनाई नहीं पड़ रहा है, आयतें बराबर उतर रही है। आपको तरीका बताऊंगा, इससे भी बहुत कर्म कटेंगे। इसी में अगर आदमी लग जाए, लगातार अगर देर तक बैठने लग जाए, कई घंटे बैठने लग जाए तो इससे ही कर्म कट जाएंगे। क्योंकि, यह तो एक तरह से कर्मों को काटने का हथौड़ा है। जैसे हथौड़ा से किसी चीज पर हल्की चोट मारो तो वो न टूटे और तेज मारो तो फट से टूट जाए। ऐसे ही ये जो अंदर में कर्मों का पहाड़ लदा है, उसको तोड़ने का यह हथौड़ा है। सुमिरन, ध्यान, भजन, नाम चिंगारी है। कैसी? जैसे एक चिंगारी अगर रूई के पहाड़ जैसे ढेर पर पड़ जाए तो जला करके राख कर दे, ऐसे ही है ये अगर मन में बेस माया मोह पर पद जाए हो सब कुछ तोड़ कलर खत्म कर देता है। तब आप अपने प्रभु अपने निजधाम जा पाते हैं।